अहमदाबाद। देश में अब कोरोना का XE वेरिएंट अब पैर पसारता नजर आ रहा है। महाराष्ट्र के बाद अब गुजरात में कोरोना वायरस के नए XE वैरिएंट का मामला सामने आया है। गुजरात में जिस व्यक्ति में कोरोना संक्रमण के एक्सई वैरिएंट की पुष्टि हुई है, उसे 13 मार्च को कोरोना संक्रमित पाया गया था। हालांकि एक हफ्ते बाद उनकी हालत में सुधार देखा गया। जब जांच के लिए भेजे गए नमूने की रिपोर्ट आयी तो उसमें पता चला की वह कोरोना वायरस के एक्सई वेरिएंट से संक्रमित था। चिंता की बात यह है कि एक्सई वैरिएंट ओमिक्रोन की तुलना में 10 गुना अधिक संक्रामक बताया जा रहा है।
बता दें कि गुजरात के वडोदरा में रहने वाले एक व्यक्ति में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की पुष्टि हुई है। यहां पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 20 मामले दर्ज हुए जिनमें गांधीनगर में सबसे अधिक 17 मामले देखे गए। गांधीनगर शहर के इन मामलों में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के 15 लोग संक्रमित पाए गए हैं । मिली जानकारी के अनुसार कोविड एक्स ई म्यूटेड वायरस दस गुनी तेज गति से संक्रमित करता है लेकिन ये घातक नहीं है। वायरोलॉजी के विशेषज्ञों का मानना है कि दो वेरिएंट के म्यूटेशन से बना यह नया वेरिएंट खुद अपने आप खत्म हो जाएगा।
देश में ‘XE’ वेरिएंट का पहला मामला मुंबई में सामने आया था। माना जाता है कि यह वैरिएंट ओमिक्रोन की तुलना में 10 गुना अधिक संक्रामक है। बृहन्मुंबई नगर पालिका के एक अधिकारी ने बताया था कि जीनोम सीक्वेंसिंग लैबोरेटरी में 11वें बैच के 376 नमूनों की सीक्वेंसिंग में इस नतीजे का पता चला।
इसके अलावा कप्पा स्वरूप के भी एक मामले की पुष्टि हुई है। ‘XE’ वेरिएंट का पहला केस यूके में आया था। मुंबई भेजे गए 230 नमूनों में से 228 ओमिक्रोन के थे जबकि एक कप्पा और ‘एक्सई’ वेरिएंट का था। अधिकारी ने कहा कि संक्रमित मरीज की हालत गंभीर नहीं है। ‘XE’ वैरिएंट Omicron के BA2 सबफॉर्म की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक संक्रामक प्रतीत होता है।
क्या कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन का
अब तक ba2 को कोरोना वायरस रूपों में सबसे अधिक संक्रामक माना गया है। यह एक पैटर्न है जो ओमिक्रोन के ba1 और ba2 के स्वरूपों में परिवर्तन से बनता है। प्रारंभिक अध्ययनों के अनुसार ‘XE’ वैरिएंट की ba2 की तुलना में 9.8% की वृद्धि दर है। जांच के दौरान इसकी पहचान करना भी मुश्किल है। इसलिए इसे स्टील्थ वेरिएंट कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि बदलाव के बाद जो नया रूप बना है, वह पहले वाले रूपों की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है।