काबुल। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने हाल में सभी महिलाओं को बुर्का पहनना अनिवार्य करने का फरमान जारी किया है। सरकारी नौकरियों में चंद ही महिलाएं काम कर रही हैं। प्राइवेट में तो महिलाएं ना के बराबर हैं। लेकिन मैटरनिटी अस्पतालों में काम करने वाली महिला डॉक्टरों और नर्सेज को तालिबान सरकार की ओर से वेतन ही नहीं दिया जाता है। इसके बावजूद अपने काम से मुंह नहीं मोड़ा। महीनों तक वे बिना वेतन के काम करती रहीं।
तालिबान हुकूमत में हालात खराब
31 साल की डॉक्टर फैजली बताती हैं कि पिछले अगस्त के बाद से हालात बहुत बिगड़ते लगे। देश में अशांति कारण उन्हें घर से निकलने में भी डर लगता था। लेकिन अस्पताल में डिलीवरी कराने के लिए उन्होंने अपने काम से किनारा नहीं किया।
उन्होंने बताया कि काबुल के सबसे बड़े मैटरनिटी अस्पताल जहां वे और उनके अस्पताल का अधिकांश महिला स्टाफ रहता है, वो लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके बावजूद वे काम पर आती रहीं। उन्हें आने के लिए साधन नहीं मिलते हैं। किसी प्रकार से स्टाफ ने सार्वजनिक वाहन की व्यवस्था की। वे सभी इसी में बैठकर आती हैं।
घर से बुर्का पहनकर निकलती है
घर से वे सभी महिला स्टाफ की सदस्य बुर्का पहन कर निकलती हैं। अस्पताल पहुंचने पर वे ड्रेस चेंज करती हैं। जगह-जगह तालिबानी पुलिस उनकी चैकिंग करती है कि उन्होंने ठीक ढंग से बुर्का पहना हुआ है या फिर नहीं। एक अन्य अस्पताल में काम करने वाली महिला डॉक्टर मकसूदी ने बताया कि उनके अस्पताल में रोज लगभग 100 डिलीवरी होती है।
उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या के बावजूद तालिबान सरकार की ओर से कोई भी दवा अथवा सर्जिकल उपकरण मुहैया नहीं कराए जाते हैं। देर रात मैटरनिटी अस्पताल में रहने के लिए भी तालिबानी सरकार की ओर से सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।
कइयों ने देश छोड़ा
तालिबान के सत्ता कब्जाने के बाद कई महिला डॉक्टर और नर्स अफगानिस्तान को छोड़कर अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देशों में चली गईं। इस बीच इसी साल जनवरी से अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस ने अफगानिस्तान की महिला डॉक्टरों और नर्सेज को वेतन और अन्य भत्ते देना शुरू किया है।