लखनऊ। पूर्वांचल के माफिया बृजेश सिंह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने यह आदेश दिया है। इस मामले को लेकर बृजेश सिंह सहित अन्य कई लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
मुकदमे का ट्रायल स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए प्रयागराज में चल रहा है। माफिया बृजेश सिंह इस समय वाराणसी जेल में बंद है माफिया बृजेश सिंह को जमानत अर्जी में मुकदमे का विचारण लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा करने की मांग की गई थी।
क्या कहना है बचाव पक्ष का
बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया कि याची पिछले 12 सालों से जेल में बंद है। हमले में कर्बाइन के इस्तेमाल की बात कही गई है जबकि मृतकों और घायलों को लगी गोलियों में काबाईन की गोलियां नहीं हैं। लेकिन अभी तक अभियोजन की ओर से एक भी गवाह पेश नहीं हो सका है।
बचाव पक्यष की तरफ से ये भी कहा गया कि मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल में बंद किया गया है। वह चिकित्सकीय आधार पर बयान देने के लिए कोर्ट नहीं आ रहे हैं।
मुख्तार के वकील ने किया विरोध
मुख्तार के वकील ने इस जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि याची को 1986 में पेरोल दिया गया था। इसके बाद वह 20 वर्षों तक फरार रहा। ऐसे में अगर उसे जमानत मिल जाती है तो फिर से फरार हो सकता है।
सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि घटना काफी गंभीर है। इसमें 11 लोगों को गोलियों की गंभीर चोटें आई हैं। इसके बाद कोर्ट ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है।
क्या था मामला
बता दें कि इस घटना की एफआईआर मुख्तार अंसारी ने 15 जुलाई 2001 को दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि मुख्तार अंसारी अपने काफिले के साथ चुनाव क्षेत्र मऊ जा रहे थे तो रास्ते में खड़े एक ट्रक में छिपकर बैठे बृजेश सिंह और अन्य लोगों ने स्वचलित हथियारों से काफिले पर हमला कर अंधाधुंध गोलियां चलाईं।
इस हमले में मुख्तार के गनर रामचंद्र राय सहित दो लोगों की मौत हो गई जबकि अन्य 11 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों में एक व्यक्ति बृजेश सिंह के गैंग का भी बताया जाता है।