लखनऊ। बसपा सुप्रीम मायावती ने आजमगढ़ के लोगों से लोकसभा उपचुनाव के लिए समर्थन मांगा है। मायावती ने कहा कि बसपा प्रत्याशी को जन समर्थन मिल रहा है। मायावती ने ट्वीट कर कहा कि यूपी में आज़मगढ़ लोकसभा की सीट पर कल 23 जून को होने वाले उपचुनाव में बीएसपी को जिस प्रकार से सभी वर्गों व धर्मों के लोगों का समर्थन मिल रहा है। वह काफी उत्साहवर्धक है। विरोधियों के हथकण्डों से दूर रहकर यह जन समर्थन वोट में भी ज़रूर बदलेगा, ऐसा पूर्ण विश्वास।
मायावती ने बताया कि बीएसपी उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के लोकल व दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों का हमेशा मददगार होने के कारण इनकी साख व लोकप्रियता विरोधियों से कहीं अधिक, जिसका चुनाव परिणाम पर अच्छा असर पड़ने की संभावना। मतदान में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की भी पूरज़ोर अपील।
विधानसभा चुनाव बाद रामपुर व आजमगढ़ पर होने जा रहे उपचुनाव का नतीजा जो भी रहे, लेकिन प्रत्याशी तय होने से लेकर प्रचार तक आए उतार चढ़ाव भी कम दिलचस्प नहीं रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए विधानसभा चुनाव में भारी जीत के सिलसिले को बरकरार रखने की चुनौती है तो अखिलेश व आजम खां के लिए अपनी सीट बचाने की।
इन दोनों चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिशें भी खूब हुईं। तो एमवाई समीकरण को साधने की कोशिश भी। अखिलेश यादव तो न आजमगढ़ गए और न ही रामपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामपुर गए तो आजम खां पर तंज करते हुए कहा कि कोरोना काल में हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। जो जेल में थे, उनको भी फ्री में इलाज मिला। वे उस समय कहते थे कि जेल ही जन्नत है। अब कहते हैं जेल नरक थी। यह लोग इतनी जल्दी रंग बदलते हैं कि गिरगिट भी शरमा जाए। रस्सी जल गई, लेकिन ऐंठन नहीं जा रही है। योगी ने रामपुर के सिखों को लुभाने की कोशिश की।
इस चुनाव में मुख्यमंत्री ने आजमगढ़ का नाम बदल कर आर्यमगढ़ करने का संकेत दिया। साथ ही कहा कि आजमगढ़ को आतंकगढ़ नहीं बनने देंगे। इसी बिसात पर सपा के महाराष्ट्र अबु आजमी ने नूपुर शर्मा का मामला उछाल कर माहौल गर्मानें की कोशिश की।
यही नहीं उन्होंने भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल निरहुआ के नाच गाने को लेकर तंज भी किया। इस पर निरहुआ ने भी पलटवार करने में देर नहीं की। यह वहीं निरहुआ है जिन्होंने भाजपा की ओर से पिछली बार वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के खिलाफ ताल ठोंकी थी। वैसे वह एक वक्त अखिलेश यादव के साथ रह चुके हैं