मासूम का क्या दोष था?: विभीषिका झेल रहा यूक्रेन, रुला देती हैं तस्वीरें

यूक्रेन तबाही के उस दौर से गुजर रहा है, जिसे इतिहास कभी भुला नहीं पाएगा। कभी यूक्रेन के सबसे अच्छे शहरों में शुमार होने वाले नाम इस समय रूसी आक्रामकता की विभीषिका को झेल रहे हैं। यहां सबकुछ खत्म हो चुका है। एक पल को कदम रोक लेने वाली इमारतें खंडहर बन गई हैं। टैंक, मिसाइल और गोलीबारी के दाग इन इमारतों से झांक-झांक कर अपने ऊपर हुए वीभत्स हमलों की गवाही दे रहे हैं।
मलबे में ढेर इमारत

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मासूम का क्या दोष था
भले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन लाख सफाई दे रहे हों कि, उनके सैनिकों ने नागरिक इलाकों को निशाना नहीं बनाया है, लेकिन यूक्रेन के इरपिन शहर की एक तस्वीर उनके झूठ से पर्दा उठाती है। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। इरपिन शहर की इस तस्वीर में एक यूक्रेनी सैनिक एक मासूम को बचाने का प्रयास कर रहा है। पीछे पूरी इमारत मलबे में तब्दील हो चुकी है। ऐसे में हर कोई दोनों देशों से यही सवाल करेगा कि, आखिर इस मासूम का दोष क्या था?
यूक्रेन में एक सैनिक परिवार

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सैकड़ों सैनिकों की मौत
रूस-यूक्रेन की मौत दसवें दिन में प्रवेश कर चुकी है। इस जंग में अब तक सैकड़ों सैनिकों की मौत हो चुकी है। हालांकि, यूक्रेन की ओर से दावा किया जा रहा है कि, उसने यूक्रेन के 10 हजार से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया है, लेकिन रूस ने इसका खंडन किया है।
यूक्रेन से बड़ी संख्या में पलायन

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सब कुछ बिखर गया 
रूस की ओर से बर्बर हमले का दंश यूक्रेन कई सालों तक झेलता रहेगा। इसमें से कई ऐसे हैं, जिन्होंने इन हमलों में अपना सबकुछ खो दिया है।
कीव में ट्रेन के बाहर खचाखच भीड़

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कीव के बाहर निकलने की जद्दोजहद
यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे को लेकर शुरू हुई जंग दसवें दिन में पहुंच चुकी है। रूस ने कीव के कई रिहायशी इलाकों पर भी मिसाइल व बम से हमला किया है। इस बीच कीव से बाहर निकलने वालों की जद्दोजहद जारी है।

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