मिशन गगनयान के चार ​​अंतरिक्ष यात्रियों का रूस में प्रशिक्षण हुआ पूरा ​

नई दिल्ली।​ देश ​के पहले ​​अंतरिक्ष ​​मानव मिशन​ ‘​​​गगनयान​’​ के तहत अंतरिक्ष में जाने के लिए ​वायुसेना के चार ​पायलटों ने रूस में एक साल का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है​​ ​इनमें भारतीय वायु सेना के एक ग्रुप कैप्टन और तीन विंग कमांडर हैं।​ रूस से लौटने के बाद ​चारों ‘वायु योद्धा’ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन​ ​(​​​इसरो​)​ ​की निगरानी में बेंगलुरु के पास चलकेरा में​ ​​​क्रू मॉड्यूल की ट्रेनिंग लेंगे।​ 

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सात​​ दिन के लिए​ ​गगनयान के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ​​इस मिशन को देश की आजादी के 75वीं वर्षगांठ के मौके पर लॉन्च किया जाएगा।​​​​

गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्षयान कार्यक्रम है। इसकी घोषणा ​2018 में ​स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ​नरेन्द्र मोदी ने की थी।​ दस हजार करोड़ के बजट वाले इस मिशन पर इसरो और भारतीय वायुसेना मिलकर काम कर रहे हैं​​​ वायुसेना ने अपने 25 पायलटों में से ​4 अंतरिक्ष​ यात्रियों का चयन करके इसरो को दिए

 ​इनकी ट्रेनिंग के लिए इसरो और रूस की स्पेस कंपनी ग्लवकॉसमॉस के बीच जून​,​ 2019 में ​अनुबंध ​किया गया था। ​​इन भारतीय जांबाजों की ट्रेनिंग 10 फरवरी​, 2020 से शुरू हो गई थी लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मार्च​, 2020 में इन लोगों को आइसोलेट कर दिया गया था। बाद में 12 मई ​से फिर प्रशिक्षण शुरू किया गया। 

भारतीय वायुसेना के इन चारों जांबाजों ​ने रूस की राजधानी मॉस्को के नजदीक जियोजनी शहर में स्थित रूसी स्पेस ट्रेनिंग सेंटर में एस्ट्रोनॉट्स बनने का प्रशिक्षण पूरा कर लिया है​​​ इन चारों गगननॉट्स ​​को ग्लवकॉसमॉस​ कंपनी ने ​अंतरिक्ष की परिस्थितियों के अनुसार ढलने की ट्रेनिंग दी ​​है। शु​रुआती ट्रेनिंग में​ इन्हें स्पेस ट्रैवल और स्पेसक्राफ्ट पर नियंत्रण की बेसिक क्लासेज ​दी गई हैं।

इसके अलावा बेसिक रूसी भाषा का भी अध्ययन ​कराया गया ताकि आगे की ट्रेनिंग में दिक्कत न हो। ​प्रशिक्षण लेने गए सभी ​पायलटों की सेहत​ का ​भी ​बेहद अच्छे तरीके से ख्याल रखा ​गया​​​​ रूस में पायलटों ने एस्ट्रो नेविगेशन, एक्स्ट्रा व्हीकुलर एक्टिविटी के साथ ही असामान्य बर्फीले, पानी और मैदानी स्थिति से निपटने के बारे में ट्रेनिंग ली​ है​। 

रूस में ​प्रशिक्षण लेने के बाद ​भारत लौटने पर मई या जून से इन चारों गगननॉट्स को बेंगलुरू में गगनयान मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस मॉड्यूल को इसरो ने खुद बनाया है। इसमें किसी भी अन्य देश की मदद नहीं ली गई है। ​​भारत में ​इन्हें तीन तरह का प्रशिक्षण दिया जायेगा​। ​इनमें क्रू मॉड्यूल​, उड़ान हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के सिमुलेटर शामिल होंगे।

इसके लिए एक ​विशेषज्ञ टीम का गठन किया गया है। यह ​​ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ​इन्हें गगनयान के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। गगनयान मिशन के तहत ​इसरो तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 किमी​.​ ऊपर अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा कराएगा ​​उस दौरान ये पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे।

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