मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए कमजोरी बनते जा रहे भतीजे…

नई दिल्ली। जमीनी नेता मानी जाने वाली ममता हालांकि, अपनी ही पार्टी में कई नेताओं की नाराजगी का सामना कर रही हैं। वजह है उनका अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को लगातार आगे बढ़ाना। तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के बाद नंबर पर दो पर अभिषेक बनर्जी को बैठाए जाने की भले ही औपचारिक घोषणा न हुई हो लेकिन यह किसी से छिपा भी नहीं है।

ममता का ‘भतीजा प्रेम’ इतना बढ़ गया है कि इसके लिए कई वरिष्ठ नेताओं की भी अनदेखी कर दी गई और अब चुनाव से पहले पार्टी में भगदड़ जैसी स्थिति आ गई है। हालांकि, इसके लिए भी जिम्मेदार अभिषेक बनर्जी को ही बताया जाता है जो अब पार्टी को मजबूत बनाने की बजाय उसकी कमजोरी बनते जा रहे हैं। पार्टी के टूटने के पीछे भी अभिषेक बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक बनर्जी ममता के लिए सॉफ्ट कॉर्नर भी हैं। इसी को देखते हुए बीजेपी ने राज्य के चुनाव प्रचार में ‘भाइपो’ (भतीजे) को मुद्दा भी बनाया है। तृणमूल के कई दिग्गज जो अब पार्टी छोड़ चुके हैं, जैसे सुभेंदु अधिकारी, सौमित्र खान और अन्य कहते हैं कि यह वास्तव में ‘तोलाबाज भाईपो’ हैं। इन्होंने अभिषेक पर भ्रष्ट्राचार का आरोप भी लगाया है। वहीं, अभिषेक बनर्जी कहते हैं कि अगर उन पर लगे आरोप साबित होते हैं तो वो जनता के बीच में जान दे देंगे।

23 साल की उम्र में पार्टी ने यूथ आइकॉन बना दिया
दरअसल, बंगाल में 34 साल के वाम मोर्चे को सत्ता से बाहर करने के बाद ममता बनर्जी के भाई अमित बनर्जी के बेटे अभिषेक बनर्जी चर्चा में आए। जल्द ही इनको पार्टी ने यूथ आइकॉन बना दिया। अभिषेक बनर्जी जब 23 साल के थे तब उनको अखिल भारतीय तृणमूल युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना गया था। अभिषेक हर साल अपने निर्वाचन क्षेत्र में स्पोर्ट्स टूर्नामेंट का आयोजन कराते हैं।

2014 में सबसे युवा सांसद से अभिषेक
जनवरी 2014 में, जब पार्टी के नेतृत्व के साथ मतभेद के कारण डायमंड हार्बर संसदीय क्षेत्र की सीट पार्टी सांसद सोमेन मित्रा के इस्तीफे के बाद खाली हो गया, तो ममता ने अभिषेक को वहां से मैदान में उतारा। साल 2014 में इसी सीट से जीत हासिल करने के बाद अभिषेक बनर्जी उस साल सबसे कम उम्र के (मात्र 26 साल) में सांसद बने थे।

2019 में लोकसभा चुनाव में फेल साबित हुए अभिषेक
तब टीएमसी में मुकुल रॉय की गिनती नंबर दो पर होती थी। पार्टी के रवैये को देखते हुए मुकुल रॉय खुद को टीएमसी से अलग कर 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए हैं। और अब सुभेंदु अधिकारी और सौमित्र खान भी टीएमसी को छोड़ बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। रॉय के जाने के बाद, अभिषेक को तृणमूल चुनाव रणनीति के प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद हुए 2019 के लोकसभा चुनावों में, तृणमूल ने 34 सीटों से गिरकर 22 पर आ गई।

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