मेरठ। कोरोना महामारी में अपने मां-बाप को खो चुके बच्चों को सहारा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार पुख्ता इंतजाम करने में जुटी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘पीएम केयर्स फंड’ से अनाथ बच्चों को पालने का ऐलान किया है तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप्र मुख्यमंत्री ‘बाल सेवा योजना’ के जरिए बच्चों की देखभाल की घोषणा की है। अब जिला स्तर पर ऐसे बच्चों को खोजने और जांच करने काम चल रहा है।
मेरठ मंडल में 279 बच्चे हुए अनाथ
मेरठ मंडल के छह जिलों मेरठ, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर में अभी तक कोरोना महामारी से अनाथ हुए 279 बच्चे चिहिन्त हुए हैं। आयुक्त सुरेंद्र सिंह लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्चों का पूरा ब्यौरा शासन को भेजा जाएगा।
घर-घर जाकर की जा रही सामाजिक अन्वेषण
बताया जाता है कि केंद्र व राज्य सरकार की योजना का लाभ लेने के लिए कई ऐसे बच्चों के नाम भी लोगों ने सूची में जुड़वा दिए हैं, जिनके पिता की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी है। ऐसे मामलों की जांच के लिए सभी जिलों में बच्चों की सामाजिक अन्वेषण जांच (एसआईआर) कराई जा रही है। मेरठ मंडल के उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी महेश कंडवाल का कहना है कि कोरोना के कारण अनाथ व निराश्रित हुए बच्चों की सही स्थिति व संख्या की जांच के लिए सर्वे किया जा रहा है।
संरक्षण में जुटी चाइल्डलाइन
बच्चों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाली एजेंसी चाइल्डलाइन भी लगाकार इस काम में जुटी है। चाइल्डलाइन की निदेशक अनिता राणा का कहना है कि अपराध ग्रस्त, निराश्रित, अनाथ बच्चों की लगातार सहायता की जा रही है। 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन पर काॅल करने वाले एक बच्चे की मेडिकल सहायता की गई।
सात बच्चों को भोजन पहुंचाया गया। एक बाल श्रमिक मिला। चार बच्चों को स्पांसरशिप का लाभ दिलाया गया। 16 बच्चों के साथ घरेलू के मामले सामने आए। चार बाल विवाह रुकवाए गए। भावनात्मक शोषण के 12 बच्चे, दो अपह्त बच्चे, शारीरिक शोषण वाले तीन बच्चे, शारीरिक दंड का एक बच्चा, साइबर अपराध से ग्रसित एक बच्चा व अन्य 15 बच्चों की चाइल्डलाइन ने मदद की।
बच्चों को संरक्षण दे रही बाल कल्याण समिति
जुनाइल जस्टिल एक्ट के अंतर्गत अनाथ, निराश्रित, अपराध से ग्रसित 0 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को संरक्षण देने के लिए प्रत्येक जनपद में बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) का गठन किया गया है। सीडब्ल्यूसी मेरठ के न्यायिक मजिस्ट्रेट राजन त्यागी का कहना है कि देखभाल व संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों को पुलिस द्वारा, सामाजिक कार्यकर्ता, सामाजिक संगठन या किसी भी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है। ऐसे बच्चों के सर्वोत्तम हित के लिए सीडब्ल्यूसी निर्णय लेती है।
आरएसएस उठाएगा अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी
देश व समाज के हित में कार्य करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया है। आरएसएस के आनुषांगिक संगठन सेवा भारती के महानगर अध्यक्ष छविंद्र सैनी ने बताया कि कोरोना के कारण संकटग्रस्त बच्चों व परिवारों का सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे के बाद इन बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था विद्या भारती के सहयोग की जाएगी। इसके लिए कार्य शुरू किया जा चुका है।
कई संगठन भी आगे आ रहे
सामाजिक संस्था संकल्प की संचालिका अतुल शर्मा भी अनाथ व निराश्रित बच्चों की मदद के लिए आगे आई हैं। वह भी प्रशासन के साथ मिलकर सहयोग कर रही हैं। नवोदय लोकचेतना समिति के सचिव देवेंद्र धामा भी लगातार अनाथ, निराश्रित, अपराध से ग्रस्त बच्चों के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रशासन के सहयोग से इन बच्चों को चिहिन्त करने में मदद में जुटे हैं।
बाल सेवा योजना में यह मिलेगा लाभ
कोरोना से निराश्रित बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा और सुरक्षा के लिए उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना में कई प्रावधान किए गए हैं। 0 से 18 आयु वर्ग के उप्र के मूल निवासी और माता-पिता, माता या पिता, वैध अभिभावक, आय अर्जित करने वाले अभिभावक की कोरोना संक्रमण से एक मार्च 2020 के बाद मृत्यु होने पर योजना का लाभ दिया जाएगा।
योजना में बाल देखरेख संस्थाओं में आवास, 0 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की देखभाल के लिए चार हजार रुपए प्रतिमाह, कस्तूरबा गांधी बालिका व अटल आवासी विद्यालयों में प्रवेश, बालिकाओं के विवाह के लिए 01 लाख 01 हजार रुपए, उच्चतर माध्यमिक व व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के बच्चों को लेपटाॅप या टेबलेट दिया जाएगा। बच्चों की चल-अचल संपत्तियों की कानूनी सुरक्षा की जाएगी।
गोद लेने की अपनानी होगी कानूनी प्रक्रिया
निराश्रित व अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए कई लोग आगे आ रहे हैं। बिना कानूनी प्रक्रिया के बच्चों को गोद लेना अवैध व कानूनी अपराध है। सीडब्ल्यूसी मेरठ के न्यायिक मजिस्ट्रेट महेशचंद्र शर्मा, डाॅ. हरिश्चंद्र शर्मा और नीलम सक्सेना का कहना है कि बच्चों को गोद लेने के इच्छुक लोगों को पहले सेंट्रल अडाॅप्शन रिसोर्स अथाॅरिटी (कारा) पर अपना पंजीकरण कराना होता है। इसके बाद कारा कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए बच्चों को गोद देने का काम करती है। इस प्रक्रिया के अलावा अनाथ व निराश्रित बच्चों को गोद लेना या देना कानूनी तौर पर अवैध है।