एथेंस। BRICS समिट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिन के दौरे पर यूरोपीय देश ग्रीस पहुंच गए हैं। वो शुक्रवार को एथेंस के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर लैंड हुए। 40 साल बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री ग्रीस के दौरे पर है। इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी ग्रीस गईं थीं। ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी के साथ 12 भारतीय बिजनेसमैन भी एथेंस पहुंचे हैं। इनकी मुलाकात ग्रीस के बिजनेसमैन से कराई जाएगी।
दोनों देशों के बीच ट्रेड, टेक्नोलॉजी से लेकर डिफेंस कोऑपरेशन पर चर्चा की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्रीस काफी समय से भारत की ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को खरीदने में दिलचस्पी दिखाता रहा है। ऐसे में पीएम मोदी के दौरे पर ग्रीस को भारत का ब्रह्मास्त्र कही जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल मिलने पर डील हो सकती है।
तुर्किये-पाक के गठजोड़ को भेदने ग्रीस जा रहे PM मोदी?
तुर्किये कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान का समर्थन करता है। इतना ही नहीं पाक और ईरान तेजी से डिफेंस साझेदारी बढ़ा रहे हैं। अप्रैल 2023 में तुर्किये ने पाकिस्तान को बायरकतार टीबी 2 ड्रोन दिए। ये ड्रोन रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी काबिलियत साबित कर चुका है। पाकिस्तान को यह ड्रोन मिलना भारत के लिए किसी खतरे से कम नहीं है।
पाक-तुर्किये के गठजोड़ को भेदने के लिए पिछले साल अगस्त के महीने में भारतीय वायुसेना के चीफ वी आर चौधरी ग्रीस गए थे। इस बीच दोनों देशों में ड्रोन टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए बातचीत हुई। दरअसल, ड्रोन के खतरे को देखते हुए तुर्किये का दुश्मन ग्रीस अब भारत का साथ देने को तैयार है।
ग्रीस इस ड्रोन के रडार से जुड़ा अहम डेटा भारत के साथ शेयर कर सकता है। बरयाकतार ड्रोन के छोटे होने की वजह से इन्हें रडार पर डिटेक्ट कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे में भारत के साथ साझा की गई जानकारी काफी अहम होगी। इसके बदले भारत ग्रीस को ब्रह्मोस दे सकता है।
एक इंटरव्यू के दौरान ब्रह्मोस एरोस्पेस के CEO और MD अतुल दिनकर ने बताया था कि भारत ने ब्रह्मोस बेचने के लिए पहला कॉन्ट्रैक्ट फिलिपीन्स के रक्षा मंत्रालय के साथ किया है। इसके अलावा कई नाटो देश इसे खरीदने में दिलचस्पी जाहिर कर चुके हैं।
तुर्किये के खिलाफ जाकर साइपरस मुद्दे पर ग्रीस का समर्थन करता है भारत
एजियन सागर को लेकर ग्रीस और तुर्किये में तनातनी चलती रहती है। इसके अलावा दोनों नाटो देशों के बीच साइप्रस द्वीप के बंटवारे को लेकर भी विवाद है। ये विवाद 1974 से है। जब ग्रीस समर्थित सैन्य तख्तापलट के जवाब में तुर्की के लड़ाकों ने इस द्वीप पर हमला किया था। बाद में कब्जा किए गए इलाके को तुर्किये ने टर्किश रिपब्लिक ऑफ़ नॉर्दन साइपरस नाम दे दिया।
तुर्किये के देश बनने से से पहले भी यूनानियों और तुर्कों के बीच दुश्मनी का एक लंबा इतिहास रहा है। इस मुद्दे पर भारत ने हमेशा से ग्रीस का साथ दिया है। वहीं, ग्रीस भी कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करता है। ग्रीस UNSC में भी भारत की परमानेंट सीट का हिमायती है।