नई दिल्ली। 15 फरवरी 2016 को विश्व-भारती के वाइस चांसलर सुशांत दत्तागुप्ता को जब उनके पद से हटाया गया था तो इस पर खूब शोर हुआ था। देश के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के हेड को इस तरह से हटाया गया था।
हालांकि उस वक्त प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्र्रपति थे और यूपीए सरकार ने ही सुशांत दत्तागुप्ता को अप्वाइंट किया था। यह मामला इसलिए सुर्खियों में था क्योंकि पहली बार इस तरह से किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी को हटाया गया था। यह सिलसिला शुरु हुआ जो अब तक चलता आ रहा है।
बुधवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर योगेश त्यागी को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। इसके साथ ही प्रशासनिक अनियमितताओं को लेकर उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सत्ता में रहते साढे छह साल होने को हैं। इस अवधि में अब तक सेंट्रल यूनिवर्सिटी के 11 वाइस चांसलर पर गाज गिर चुकी है।
इन विश्वविद्यालयों के वीसी को या तो हटा दिया गया या फिर उनसे जबरन इस्तीफा लिया गया या फिर उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया। छह मामले तो ऐसे है जिनमें सरकार ने उन वाइस चांसलर पर भी कार्रवाई की जिन्हें सरकार ने ही नियुक्त किया था।
मालूम हो इसी साल Pondicherry University के वाइस-चांसलर चंद्र कृष्णमूर्ति पर एकेडमिक फ्रॉड करने का चार्ज लगा और उन्हें उनके पद से हटा दिया गया। यूपीए-2 के कार्यकाल में कृष्णमूर्ति वाइस -चांसलर बनाए गए थे।
वहीं दिसंबर 2017 में उत्तराखंड में वाइस-चांसलर जवाहर लाल कॉल को उनके पद से हटाया गया था। इस मामले में खास बात यह थी कि जवाहर लाल कॉल को खुद मोदी सरकार ने ही अप्वाइंट किया था। कॉल पर आरोप लगे थे कि उन्होंने संबंधित कॉलेजों को तय सीमा से ज्यादा सीट बढ़ाने की इजाजत दी थी।
वर्ष 2018 में मणिपुर यूनिवर्सिटी के हेड आद्या प्रसाद पांडेय पर भी आरोप लगे थे। उनके खिलाफ जब जांच हुई तो पता चला कि 26 अक्टूबर 2016 से लेकर 30 मई 2018 तक पांडेय महज 200 दिन ही यूनिवर्सिटी में आए थे। विश्वविद्यालय के छात्रों ने आरोप लगाया था कि पढ़ाई-लिखाई का स्तर कमजोर हो गया है। इसके बाद इसी साल फरवरी में उन्हें पद से हटा दिया गया।
2019 और 20 में ऐसे मामले भी सामने आए जब वाइस -चांसलर को अपने पद की समय-सीमा पूरी होने से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा।
इसी साल जनवरी में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हेड रतन लाल हंगलो ने अपने पद से इस्तीफा दिया। वहीं अक्टूबर 2019 में बिहार के महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी अरविंद अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दिया।
साल 2017 में बीएचयू का मामला भी चर्चा में रहा था। बीएचयू के वीसी जी सी त्रिपाठी को साल 2017 में सरकार ने छुट्टी पर जाने के लिए कह दिया था। उन्होंने छुट्टी पर रहते हुए ही अपना कार्यकाल समाप्त किया।