कोलकाता। बंगाल में नेताजी की जयंती पर सियासी बवाल हो गया। यहां विक्टोरिया मेमोरियल में मोदी के मंच पर ममता बनर्जी नाराज हो गईं। दरअसल, जब ममता भाषण देने पहुंचीं, तो भीड़ में से जय श्री राम के नारे सुनाई देने लगे। इसके बाद ममता भड़क गईं और भाषण दिए बगैर ही वापस लौट आईं।
ममता ने माइक पर कहा, ‘यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। सरकार के कार्यक्रम में गरिमा होनी चाहिए। यह पब्लिक का प्रोग्राम है। मैं कोलकाता में प्रोग्राम करने के लिए प्रधानमंत्री जी और संस्कृति मंत्रालय की आभारी हूं। लेकिन, किसी को बुलाकर इस तरह बेइज्जत करना शोभा नहीं देता। इसका विरोध करते हुए अब मैं कुछ नहीं बोलूंगी। जय हिंद, जय बांग्ला।’
सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद राजनीतिक पैंतरेबाजी
विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी पर डाक टिकट और सिक्के के विमोचन का कार्यक्रम तय था। साथ ही इसमें आजाद हिंद फौज के सदस्यों का सम्मान भी किया जाना था। करीब तीन घंटे तक चलने वाले इस कार्यक्रम में क्या कुछ हुआ, आइए जानते हैं..
- सबसे पहले छोटे बच्चों ने नेताजी की वेश-भूषा में ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’ गीत गाया।
- केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल का स्वागत भाषण हुआ।
- इसके बाद आजाद हिंद फौज का एंथम गाया गया।
- मंच से भाषण के लिए ममता बनर्जी का नाम पुकारा गया, तो भीड़ में से कुछ लोग जय श्री राम के नारे लगाने लगे।
- कार्यक्रम के संचालक और आगे की कतार में बैठे लोगों ने उन्हें शांत कराया, इसी दौरान ममता माइक पर आईं।
- आते ही ममता ने बेहद तल्ख लहजे में नाराजगी जताते हुए 35 सेकेंड में अपनी बात खत्म की। इसके बाद वे वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गईं।
पूरा घटनाक्रम इस वीडियो में भी देखा जा सकता है..
मोदी-ममता रहे साथ, पर नहीं हुई बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेताजी की 125वीं जयंती पर कोलकाता पहुंचे हैं। यहां उन्होंने नेशनल लाइब्रेरी का दौरा किया। इसके बाद मोदी विक्टोरिया मेमोरियल हॉल पहुंचे, जहां वे नेताजी की स्मृति में सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाना है। बंगाल की CM ममता बनर्जी भी प्रधानमंत्री के साथ यहां मौजूद रहीं। लेकिन, साथ बैठने के बावजूद दोनों के बीच बातचीत नहीं हुई।
कोलकाता को राजधानी का दर्जा देने की मांग
इधर मोदी के आने से पहले ही बंगाल की CM ममता बनर्जी ने शक्ति प्रदर्शन भी किया। ममता ने कोलकाता को राजधानी बनाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘अंग्रेज कोलकाता से ही पूरे देश पर राज करते थे। ऐसे में हमारे देश में एक शहर को ही राजधानी क्यों बनाए रखना चाहिए। देश में चार रोटेटिंग कैपिटल होनी चाहिए।’ इधर, दिलचस्प बात ये है कि आज ही मोदी के दोनों कार्यक्रमों में मंच पर ममता भी उनके साथ रहीं।
केवल चुनावी साल में नेताजी को याद नहीं करते: ममता
ममता ने कहा कि हम नेताजी का जन्मदिन केवल चुनावी साल में नहीं मनाते। नेताजी को वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। हम उनकी 125वीं जयंती बहुत बड़े पैमाने पर मना रहे हैं। रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें देशनायक कहा था, इसलिए हमने आज के दिन को देशनायक दिवस नाम दिया है।
ममता ने पराक्रम दिवस को खारिज किया
केंद्र सरकार ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है। लेकिन, ममता बनर्जी ने इसे खारिज करते हुए इस दिन को देशनायक दिवस के तौर पर मनाने की बात कही। ममता ने कोलकाता में श्याम बाजार से रेड रोड तक करीब 8 किमी की पदयात्रा निकाली। इसे दोपहर 12.15 पर शुरू किया गया, क्योंकि 23 जनवरी 1897 को इसी वक्त नेताजी का जन्म हुआ था।
दोपहर में ममता के भाषण की पांच बड़ी बातें
- केंद्र सरकार नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करे।
- केंद्र सरकार नेताजी के सम्मान की बात करती है, लेकिन उनके सुझाव पर बने योजना आयोग को ही खत्म कर दिया गया।
- जब नेताजी ने आजाद हिंद फौज बनाई, तो उसमें गुजरात, बंगाल, तमिलनाडु के लोग भी थे। वे बांटने की राजनीति के खिलाफ थे।
- बंगाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस यूनिवर्सिटी और जय हिंद वाहिनी का गठन किया जाएगा।
- हम एक आजाद हिंद स्मारक बनाएंगे। हम दिखाएंगे कि इस काम को कैसे किया जाना है। उन्होंने (केंद्र सरकार) मूर्तियों और नए संसद परिसर पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं।