वाशिंगटन। व्हाइट हाउस में पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन की बैठक के बाद भारत और अमेरिका ने तालिबान को कड़ा संदेश भेजा है। भारत और अमेरिका ने संयुक्त बयान में तालिबान से कहा है कि अब वह आगे से किसी को भी अफगान की धरती का इस्तेमाल किसी अन्य देश पर हमले के लिए ना होने दे।
भारत और अमेरिका ने अफगानिस्तान के नये शासकों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि युद्धग्रस्त देश की धरती का किसी भी अन्य देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह या प्रशिक्षण देने के लिए फिर से इस्तेमाल न हो सके।
दोनों देशों ने तालिबान से उसके द्वारा जताई गई प्रतिबद्धताओं को पूर करने और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यक समूहों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच शुक्रवार को यहां पहली आमने-सामने की द्विपक्षीय बैठक के बाद भारतीय-अमेरिकी नेताओं के संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के महत्व पर विशेष जोर दिया।
संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों नेताओं ने संकल्प किया कि तालिबान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करना चाहिए जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान की सरजमीं का किसी अन्य देश को धमकाने या उसपर हमला करने या किसी आतंकवादी को प्रशिक्षित करने या शरण देने या आतंकवादी हमलों को प्रायोजित करने के लिए दोबारा कभी नहीं किया जाना चाहिए।
साथ ही अफगानिस्तान में आतंकवाद से निपटने के महत्व पर जोर दिया। यह प्रस्ताव अगस्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के दौरान मंजूर किया गया था।
बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी ने तालिबान का प्रस्ताव की इन बातों और तमाम दूसरी प्रतिबद्धताओं को भी पूरा करने के लिए आह्वान किया है जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों का अफगानिस्तान से सुरक्षित, एवं व्यवस्थित प्रस्थान और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों सहित सभी अफगानों के मानवाधिकारों का सम्मान करना शामिल है।