कानपुर। फूलन देवी के खिलाफ 25 जुलाई 1980 को किशनपुर गांव में डकैती और हत्या के प्रयास मामले को लेकर कानपुर देहात के एंटी डकैती कोर्ट में चल रहा मुकदमा खत्म हो गया है। फूलन के गांव शेखपुरा गुढ़ा के ग्राम प्रधान की ओर से मौत का प्रमाण पत्र आने के बाद स्पेशल जज एंटी डकैती कोर्ट ने यह फैसला लिया।
यह मुकदमा 41 साल से चल रहा था। जबकि 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा ने दिल्ली में फूलन देवी की हत्या कर दी थी। इसी मामले में विक्रम मल्लाह पर चल रहे मुकदमे को कोर्ट ने उसकी मौत के बाद 4 सितंबर 1998 को खत्म कर दिया था।
सहायक शासकीय अधिवक्ता आशीष कुमार तिवारी ने बताया कि भोगनीपुर कोतवाली में 25 जुलाई 1980 को डकैती और हत्या का प्रयास का मुकदमा दर्ज किया गया था। ये मुकदमा कालपी के शेखपुरा गुढ़ा की रहने वाली डकैत फूलन देवी और गौहानी के विक्रम मल्लाह व उसके गिरोह के खिलाफ दर्ज हुआ था।
41 साल से मामले की सुनवाई एंटी डकैती कोर्ट में चल रही थी। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। कोर्ट में पुलिस अब फूलन की मौत को प्रूफ कर सकी है। ऐसे में कोर्ट ने फूलन देवी की मौत के 20 साल बाद मुकदमे को खत्म कर दिया है।
18 साल बाद विक्रम मल्लाह पर खत्म हुआ था मुकदमा
12 अगस्त 1980 में पुलिस ने मुठभेड़ में डकैत विक्रम मल्लाह को मार गिराया था। मौत की पुष्टि के बाद एंटी डकैती कोर्ट ने 18 साल बाद विक्रम मल्लाह पर चल रहा मुकदमा खत्म कर दिया था। ये मुकदमा 4 सितंबर 1998 में खत्म हुआ था। इसके बाद फूलन देवी ने मध्यप्रदेश में आत्मसमर्पण कर दिया था। हालांकि, सांसद बनने के बाद मुकदमा अदालत में विचाराधीन रहा।
प्रधान के प्रमाणपत्र के बाद कोर्ट ने दिया फैसला
शासकीय सहायक अधिवक्ता आशीष कुमार तिवारी ने बताया कि कानपुर देहात के शेखपुरा गुढ़ा के प्रधान की ओर से फूलन की मौत का प्रमाणपत्र आने, पुलिस रिपोर्ट, भोगनीपुर कोतवाली के पैरोकार व अन्य साक्ष्यों को विशेष न्यायाधीश एंटी डकैती कोर्ट सुधाकर राय की अदालत में पेश किया गया। इस पर उन्होंने फूलन देवी पर चल रहे मुकदमा खत्म करने का आदेश जारी किया।