यह जापानी कंपनी ऑन डिमांड कराएगी तारों की बारिश

तारों की बरसात, प्रेमी-प्रेमिकाओं के प्यार का जुमला है, मगर एक जापानी कंपनी इसे हकीकत का जामा पहनाने की तैयारी कर रही है। एक एयरोस्पेस एंटरटेनमेंट कंपनी दुनिया के किसी भी शहर में और किसी भी समय व्यक्ति की मांग पर तारों की बारिश कराने का विकल्प मुहैया करा सकती है।

उपग्रह से की जाएगी तारों की बारिश
इस योजना के तहत धरती से 355 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगा रहे उपग्रह से धातु की छोटी-छोटी टिक्की की बरसात होगी। इनसे लाल, नीली, हरी, नारंगी रोशनी निकलेगी। देखने में यह नजारा बिलकुल तारों की बारिश जैसा होगा। इस योजना को अमली जामा पहनाने की तैयारी करने वाली कंपनी का नाम एस्ट्रो लाइव एक्सपीरियंस (एएलई) है। इसकी स्थापना यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो की खगोलविद् लेना ओकाजिमा ने की है।

धातु की टिक्की से निकलेगी रंग-बिरंगी रोशनी
एएलई के उपग्रह संचालन टीम के सदस्य जोश रोडेनबॉघ ने कहा कि हम लोगों की मांग पर तारों की बारिश का नजारा पेश करना चाहते थे। इसके तहत धरती के ऊपर आसमान में चक्कर लगा रहे उपग्रह से रात के समय किसी भी शहर में कुछ सेकेंड के लिए 15 से 20 टिक्की गिराई जाएगी, जिनसे रंग-बिरंगी रोशनी होगी। यह नजारा बिलकुल तारों की बारिश जैसा होगा। जोश ने कहा कि यह नजारा किसी खास मौके पर, स्थान पर करवाया जा सकता है। इसके ग्राहक कोई भी हो सकते हैं, जैसे पूरा शहर, कंपनी, एम्यूजमेंट पार्क या निजी रिजॉर्ट पर।

टोक्यो ओलंपिक को यादगार बनाने की है योजना
कंपनी का कहना है कि दरअसल यह योजना 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक के उद्घाटन समारोह को यादगार बनाने के लिए बनाई गई है। मगर अब इसे लोगों की मांग पर दुनिया में कहीं भी कुछ देर के लिए उपलब्ध करने के बारे में भी विचार किया जा रहा है। हालांकि उपग्रह विशेषज्ञ इसे करने के तर्क और प्रोजेक्ट की सुरक्षा के बारे में सवालिया निशान लगा रहे हैं। उनका कहना है कि आसमान से इस उद्देश्य से धातु के टुकड़े गिराना, कि वे धरती के वातावरण में दाखिल होने पर जलने लगेंगे खतरनाक हो सकता है। यह ऊपरी वातावरण में चक्कर लगा रहे उपग्रहों और पहले से मौजूद अंतरिक्ष कचरे के लिए घातक हो सकता है।

दो छोटे उपग्रह छोड़े जाएंगे इस योजना के लिए
हालांकि इस योजना को पूरा होने में अभी कुछ वक्त है। एएलई इस साल के अंत तक दो छोटे उपग्रह छोड़ेगी। इनका वजह डेढ़ सौ पौंड का होगा और इनमें 300 से 400 धातु की टिक्की होगी। साथ ही इन उपग्रहों में इतना ईंधन होगा कि यह 27 माह तक धरती का चक्कर लगा सकता है। इसके बाद यह उपग्रह गिर जाएंगे।

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