यूपी के पंचायत चुनावों में छोटे दल करेंगे अपनी ताकत का आकलन

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव में अपनी ताकत का आकलन करने के लिए छोटे दल मैदान में उतरने की तैयारियों में जुट गए हैं। आम चुनाव से पहले होने वाले इस चुनाव को काफी अहम माना जा रहा है।

करीब आधा दर्जन पार्टियों ने पंचायत चुनाव के लिए अभी से कमर कस ली है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हाशिए पर पहुंच चुके चौधरी अजीत सिंह की पार्टी रालोद भी पंचायत चुनाव के बहाने अपना खोया जनाधार पाने के प्रयास में लगी हुई है। रालोद को लगता है किसान आंदोलन और सत्तापक्ष से नाराज लोगों का फायदा उठाकर एक बार फिर पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करके विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक स्थित बन सकती है। अगर हालात ठीक नहीं रहे तो राहें मुश्किल भरी हो सकती हैं।

दिल्ली का सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी भी पंचायत चुनाव की जंग को लेकर अपने हथियार में धार तेज कर रही है। प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह पंचायत चुनाव की रणनीति बहुत दिनों से तैयार कर रहे हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता वैभव महेश्वरी का कहना है, “यूपी का पंचायत चुनाव आम आदमी पार्टी अपने दम पर लड़ेगी। इसके लिए विधानसभा और ब्लाक स्तर तक कमेटी गठित हो रही है। लगभग 80 प्रतिशत कमेटियां बन गयी हैं। उम्मींदवारों के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं। चुनाव को देखते हुए दिल्ली के मंत्रियों को भी मोर्चे पर लगाया गया है। चुनाव में हम लोगों को सफलता भी मिलेगी।”

इसके अलावा शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील भी पंचायत चुनाव लड़ने के मूड से तैयारी कर रही है। पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर भी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को पंचायत चुनाव के मैदान में उतारने जा रहे हैं। वह इसके लिए बूथ स्तर तक मैनेजमेंट कर रहे हैं।

ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि, “हमारा जहां-जहां संगठन है, वहां से प्रत्याशियों को मैदान में उतारेंगे। इस चुनाव में हमें निश्चित तौर से सफलता मिलेगी। हमारी लड़ाई भाजपा से है। क्योंकि भाजपा छोड़कर कोई दल ग्रामीण इलाकों तक नहीं पहुंच सका है।”

इसके अलावा अपना दल सोनेलाल, आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) पंचायत चुनाव के जरिए अपनी जगह बनाने के प्रयास में लगातार लगी हुई हैं।

राजनीति के जानकार राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि, “पंचायत चुनाव में छोटे से लेकर बड़े दल भागीदारी करते हैं। अगर कोई पार्टी कुछ सीट जीत जाती है तो वह बड़ी सफलता मानी जाती है। क्योंकि पार्टी की नींव ग्रामीण क्षेत्र को माना जाता है। यह चुनाव पार्टी के विस्तार और संगठन को मजबूत करने के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाते हैं।”

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