लखनऊ । केंद्र सरकार की ओर से संसद में पारित कृषि विधेयकों के खिलाफ शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के किसान सड़क पर उतरकर चक्का जाम कर रहे हैं। विशेष तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विधेयकों के विरोध को लेकर सक्रियता तेज है। हालात को देखते हुए तमाम राजनीतिक दलों की सक्रियता भी बढ़ गई है।
प्रदेश में सपा और कांग्रेस इस मसले पर सरकार को घेरने की जुगत में है। किसानों के चक्का जाम के समर्थन में समाजवादी पार्टी भी सभी जिलों में धरना-प्रदर्शन कर रही है। वहीं, कांग्रेस 28 सितंबर को विधानभवन का घेराव करेगी और शुक्रवार से 31 अक्तू बर तक किसानों को जागरूक करने का महाभियान चलाएगी।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेष उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा ने बताया, संसद में पास हुए किसान बिल का विरोध शुक्रवार को किया जाएगा। इस दौरान सड़क पर किसान उतर कर विरोध करेंगे। चक्का जाम के दौरान एम्बुलेंस, सेना की गाड़ी या किसी खास काम से जा रहे व्यक्तियों को नहीं रोका जाएगा। अगर सरकार विधेयक वापस नहीं लेगी तो आन्दोलन आगे जारी रहेगा।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिला इकाइयों को कृषि एवं श्रम कानूनों के विरोध में डीएम के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इन कृषि विधेयकों से किसान अपनी जमीन का मालिक न रहकर मजदूर हो जाएंगे। गेहूं, धान, फ ल, सब्जी को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाने से किसानों को बड़े आढ़तियों और व्यापारिक घरानों की शतोर्ं पर अपनी फ सलें बेचनी पड़ेंगी।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि नये कृषि कानून के खिलाफ 25 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक व्यापक जनान्दोलन चलाया जाएगा। सोशल मीडिया के माध्यम से खेती-किसानी पर हुए इस हमले के खिलाफ कैम्पेन चलाया जाएगा। 28 सितम्बर को कांग्रेसजन विधानसभा का घेराव करेंगे।
2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी एवं लालबहादुर शास्त्री जी की जयन्ती पर इस काले कानून के खिलाफ ब्लाक मुख्यालयों पर सत्याग्रह करेगी। इसके उपरान्त 31 अक्टूबर तक लगातार कांग्रेस जनों द्वारा इस मुद्दे को लेकर केन्द्र व प्रदेश की भाजपा सरकार के द्वारा बनाये गये किसान विरोधी कानून के खिलाफ आम जनता के बीच जाकर जनजागरण अभियान जायेगा।