यूपी में हर चौथा विधायक ठाकुर या ब्राह्मण, 52 ब्राह्मण और 49 ठाकुर विधायक

लखनऊ यूपी विधानसभा चुनाव में जातीय समीकरण खूब देखने को मिला। राजनीतिक पार्टियों ने जाति के आधार पर टिकट बांटकर लोगों को साधा। 10 मार्च को आए नतीजों को देखें तो सबसे ज्यादा ब्राह्मण प्रत्याशियों को जीत मिली है। दूसरे नंबर पर ठाकुर रहे। सबसे खास बात यह है कि इस बार यादवों से ज्यादा कुर्मी विधानसभा पहुंचे हैं।

403 विधानसभा सीटों में 52 ब्राह्मण और 49 ठाकुर हैं। ब्राह्मण और ठाकुर का कुल योग 101 है। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में हर चौथा विधायक ठाकुर या ब्राह्मण है।

ब्राह्मणों का रहा दबदबा
यूपी में 52 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशियों को जीत मिली है। भाजपा से सबसे ज्यादा 46 ब्राह्मण उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। ठाकुर समुदाय के 49 में 43 भाजपा और गठबंधन वाली पार्टियों के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले ठाकुरों को जीत मिली। सपा से चार ठाकुरों ने जीत दर्ज की है। वहीं बसपा को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली और जीतने वाला कैंडिडेट उमाशंकर सिंह ठाकुर हैं। जनसत्ता पार्टी से राजा भैया भी ठाकुर समुदाय से आते हैं।

पार्टी कार्यालय में जीत के बाद योगी ने समर्थकों को किया था संबोधित।
पार्टी कार्यालय में जीत के बाद योगी ने समर्थकों को किया था संबोधित।

ओबीसी समुदाय से कुर्मी विधायक आगे
ओबीसी समुदाय से इस बार सबसे ज्यादा कुर्मी प्रत्याशियों को जीत मिली है। जबकि कुर्मी समुदाय की आबादी यादवों से कम है। इस बार चुनाव में 41 कुर्मी उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 27 भाजपा गठबंधन से हैं। 13 सपा गठबंधन और एक कांग्रेस से है। यादव समुदाय से 27 प्रत्याशियों को जीत मिली है। इनमें से 24 सपा और तीन भाजपा से जीते हैं। इस बार मुस्लिम समुदाय से 34 विधायक चुने गए हैं, जिसमें 32 सपा से और दो आरएलडी से हैं। पिछले चुनाव की बात करें तो 23 मुस्लिम विधायकों को जीत मिली थी।

गैर यादव ओबीसी में भाजपा का डंका
गैर यादव ओबीसी में भाजपा का डंका बजा है। सैनी, मौर्य, शाक्य और कुश्वाहा समुदाय से भाजपा से 12 प्रत्याशी जीते हैं। सपा के केवल दो ही उम्मीदवार जीते हैं। इसके अलावा गैर यादव ओबीसी समुदाय से छह और उम्मीदवार भाजपा की टिकट पर जीते हैं। सपा गठबंधन से एक उम्मीदवार को जीत मिली है।

दलितों में भाजपा का जलवा
भाजपा में दलित उम्मीदवारों को मजबूती मिली है। पार्टी से जाटव समुदाय के सबसे ज्यादा प्रत्याशी जीते हैं। भाजपा से 19 और सपा गठबंधन से 10 को जीत मिली है। भाजपा से 18 पासी, सपा से आठ और जनसत्ता पार्टी से एक पासी उम्मीदवार जीता है।

अखिलेश यादव की जनसभा में दिखी थी भारी भीड़। (फाइल फोटो)
अखिलेश यादव की जनसभा में दिखी थी भारी भीड़। (फाइल फोटो)

भाजपा में वैश्य समुदाय का दबदबा
भाजपा में वैश्य समुदाय में भी दबदबा रहा है। भाजपा से 22 बनिया और 21 खत्री समुदाय के प्रत्याशी जीते हैं। एक सपा से है। लोध समुदाय के 18 में से 15 उम्मीदवार भाजपा से हैं। सपा से तीन को जीत मिली है।

जाट समुदाय से भाजपा के आठ ने जीत दर्ज की
पश्चिमी यूपी में दबदबा रखने वाले जाट समुदाय से सपा और भाजपा दोनों से लगभग बराबर उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। इस बार कुल 15 जाट चुनकर आए हैं, जिसमें 8 बीजेपी से और 7 सपा गठबंधन से विधायक चुने गए हैं। वाल्मीकि और सिख समुदाय से भी एक-एक उम्मीदवार को जीत मिली है। दोनों भाजपा से प्रत्याशी थे।

राजभर समुदाय से चार पहुंचे विधानसभा
सपा गठबंधन से राजभर समुदाय के चार प्रत्याशी विधानसभा पहुंचे हैं। सपा गठबंधन से तीन विधायक जीत कर आए हैं जबकि बीजेपी से एक विधायक को जीत मिली। भूमिहार बिरादरी के 5 विधायक बने हैं, जिसमें से चार बीजेपी और एक सपा गठबंधन से है।

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