लखनऊ। योगी सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों से लौट रहे प्रवासी कामगारों को रोजगार दिलाने के लिए ठोस पहल की है। इसके तहत शुक्रवार को प्रदेश के 11 लाख श्रमिकों को रोजगार दिलाने के लिए इंडियन इंड्रस्टीज एसोसियेशन (आईआईए), नरडेको (नेशनल रीयल एस्टेट डवलपमेंट काउंसिल), कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये।
उत्तर प्रदेश लौट रहे प्रवासी कामगारों की स्किल मैपिंग कर डाटा बैंक बनाने का काम किया जा रहा है। इसको देखते हुए आईआईए ने 05 लाख, नरडेको ने 2.5 लाख व सीआईआई ने 02 लाख कामगारों की मांग की है। आईआईए व सीआईआई एमएसएमई इकाइयों तथा नरडेको रीयल एस्टेट संस्थानों में श्रमिकों को रोजगार दिलाने का काम करेगा। इनके अलावा कुछ और औद्योगिक संगठनों की तरफ से लगभग 1.5 लाख श्रमिकों की मांग प्रदेश सरकार से की गई है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरी दुनिया में न केवल औद्योगिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं बल्कि सामान्य जनजीवन भी पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत में सही समय पर लिए गए निर्णयों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता के कारण अन्य देशों की तुलना में हम काफी हद तक कोरोना को नियंत्रित करने व जनहानि को रोकने में सफल हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से 94 प्रतिशत से अधिक औद्योगिक इकाइयों में लाॅकडाउन के दौरान, उत्पादन भले ही न हुआ हो। लेकिन, इन्होंने अपने कामगारों को मानदेय देने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने औद्योगिक इकाइयों को इसके लिए धन्यवाद भी दिया। उन्होंने कहा कि हमारी टीम प्रतिदिन इसकी समीक्षा करती है ताकि लाॅकडाउन के दौरान बंद इकाइयां अपने श्रमिकों को मानदेय उपलब्ध करा सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के पैकेज की घोषणा की थी। खाद्यान्न, एलपीजी सिलेंडर, वृद्धावस्था, दिव्यांगजन व निराश्रित महिला पेंशन, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से किसानों को 2,000 रुपये प्रतिमाह प्रति किसान को उपलब्ध कराने की कार्रवाई को प्रदेश में सफलतापूर्वक लागू करने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने कहा इसके साथ ही विभिन्न संस्थानों में कार्यरत उन कर्मचारियों के लिए, जिन्हें 15,000 रुपये से कम वेतन या मानदेय मिलता है, उन्हें ईपीएफ आदि की सुविधा के साथ जोड़ने की व्यवस्था को सफलतापूर्वक उत्तर प्रदेश में उपलब्ध करवाने का प्रयास हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वाभाविक रूप से महामारी के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से कामगारों ने बड़ी संख्या में पलायन किया। देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य होने के नाते उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में कामगारों को वापस आना पड़ा। अब तक केंद्र सरकार के सहयोग से, उत्तर प्रदेश में लगभग 30 लाख कामगार वापस आए हैं, जो कि 1,400 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से, अगल-बगल के राज्यों से बसों के माध्यम से व शेष स्वयं के साधनों से उत्तर प्रदेश पहुंचे हैं।
उन्होंने कहा कि जब व्यापक पैमाने पर प्रवासी श्रमिकों ने उत्तर प्रदेश के लिए पलायन किया तो प्रदेश की सीमा, टोल प्लाजा व अन्य चौराहों पर भोजन, पेयजल की व्यवस्था की गई। प्रदेश सरकार ने पहले से यह तय किया है कि हम प्रत्येक कामगार की वापसी उत्तर प्रदेश में सकुशल करवाएंगे। प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के साथ मिलकर कामगार को निःशुल्क उत्तर प्रदेश में लाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने अन्य प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है कि वे उत्तर प्रदेश वापस आने के इछुक सभी कामगारों की सूची हमें उपलब्ध करा दें, जिससे हम उनकी सुरक्षित वापसी करवा सकें। इसकी कोई तय समयसीमा नहीं है। जो भी होगा हम उनकी सुरक्षित, निःशुल्क व सम्मानजनक वापसी करवाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में वापस आने वाले सभी श्रमिकों को पहले एकांतवास केन्द्र (क्वारंटाइन सेन्टर) ले जाकर वहां उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है। इसके बाद जो लोग स्वस्थ हैं, हम उन्हें राशन किट उपलब्ध करवाकर घरेलू एकांतवास (होम क्वारंटाइन) के लिए अपने साधनों से, उन्हें घरों तक पहुंचाते हैं। राशन किट में 15 दिन का खाद्यान्न दिया जाता है जिसमें दाल, नमक, आटा, मिर्च, मसाले तेल आदि उपलब्ध कराए जाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जितने भी प्रवासी कामगार व श्रमिक आ रहे हैं, वे हमारी ताकत हैं, अब हम इस ताकत का इस्तेमाल, नए उत्तर प्रदेश के निर्माण के लिए कर रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्किल मैपिंग से हर हाथ को काम और हर घर में रोजगार उपलब्ध कराने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया है।