नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो रहा है। ऐसे में देखा जाये तो पांच महीने के बाद भारत को अगला राष्ट्रपति मिलेगा। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया भी होनी है। उधर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बाद देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसको लेकर कयास भी लगने शुरू हो गए है।
कई नामों को लेकर मंथन भी शुरू हो गया है। इसको लेकर जानकारी मिल रही है कि बीजेपी और आरएसएस के बीच नामों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधान सभा चुनाव के बाद कुछ नामों को लेकर बैठक की जा सकती है।
हालांकि चार नामों को लेकर कयास भी लगने शुरू हो गए है। उनमें यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि सरकार इन नामों के आलावा दूसरे नामों लेकर चौंका सकती है।
वहीं सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव में शरद पवार मुख्य उम्मीदवार हो सकते हैं। इस चर्चा को शिवसेना के संजय राउत ने हवा दे दी थी। उन्होंने कहा था कि 2022 में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के नाम पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि 2022 तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का फैसला करने के लिए ‘हमारी तरफ’ पर्याप्त संख्या होगी। इसके लिए जल्द ही योजना बनाई जाएगी। इस योजना के तहत संजय राउत जल्द ही पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और केरल के मुख्यमंत्रियों से मिलकर उनकी उम्मीदवारी पर बात करेंगे। दूसरी ओर यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का नाम भी सामने आ रहा है। गुजरात के बतौर मुख्यमंत्री रह चुकी है। हालांकि उनकी उम्र 80 साल की हो चुकी है।
आरिफ मोहम्मद खान को भी अगले राष्ट्रपति के तौर पर देखा जा रहा है। मौजूदा समय में वो केरल के राज्यपाल है और यूपी के रहने वाले हैं। कई मौकों पर उन्होंने बीजेपी का साथ दिया है। भाजपा उन्हें प्रगतिशील विचारधारा का मानती है। इस वजह बीजेपी और आरएसएस उनके नाम पर विचार कर सकती है। इसके साथ ही अगर उनको राष्ट्रपति बनाती है तो विश्व में एक संदेश जायेगा कि बीजेपी मुस्लिम विरोधी नहीं हैं बल्कि तुष्टिकरण का विरोध करते हैं।
उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू को भी राष्ट्रपति बनाया जा सकता है क्योंकि वो लम्बे समय से बीजेपी के भरोसेमंद चेहरे के तौर पर रहे हैं और 2002 से 2004 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। ऐसे में उनको राष्ट्रपति बनाने पर विचार किया जा सकता है।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत का नाम भी चर्चा में है। 73 साल के डा. थावरचंद गहलोत केंद्र में सामाजिक न्याय मंत्री भी रह चुके हैं। सन 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही गहलोत कैबिनेट में मंत्री रहे हैं। उनके नाम को लेकर भी चर्चा तेज है और वो राष्ट्रपति की दौड़ में आगे बताये जा रहे हैं।