लखनऊ। यूपी में निकाय चुनाव का रिजल्ट आ चुका है। शहरों में भाजपा की सरकार बन चुकी है। इससे पहले 30 दिन तक पार्टियों के स्टार प्लेयर्स ने मैराथन प्रचार किया। मुकाबला भाजपा और सपा के बीच में था। कमान दोनों पार्टियों के कैप्टन सीएम योगी और पूर्व सीएम अखिलेश यादव के पास थी। योगी और अखिलेश की रैलियां और उनकी जीत का स्ट्राइक रेट…
पहले बात नगर निगम सीटों की करते हैं…
- सीएम योगी ने सभी 17 नगर निगम सीटों पर रैली की थी। इसमें से सभी 17 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। यानी योगी का जीत का स्ट्राइक रेट 100% रहा है।
- सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 7 नगर निगम सीटों पर रोड शो और रैलियां की थीं। सपा सभी 7 सीटें हार गई। इनमें से तीन सीटों पर तो सपा तीसरे नंबर पर रही है।
अब बात नगर पालिका सीटों की करते हैं..
- सीएम योगी ने 44 जिलों में रोड शो और रैली की। इसके जरिए उन्होंने 106 नगर पालिका सीटों को कवर किया। इनमें से करीब 42 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। यानी नगर पालिका में योगी का जीत का स्ट्राइक 40% रहा है।
- अखिलेश यादव ने जिन 10 जिलों में रोड शो और रैलियां की, वहां पर कुल 19 नगर पालिका सीटें हैं। इनमें से सिर्फ 3 सीट पर सपा ने जीत दर्ज की है। यानी अखिलेश का नगर पालिका में जीत का स्ट्राइक रेट 15% रहा है।
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अब 17 नगर निगम सीटों का हिसाब-किताब जानते हैं..
सपा 7 मेयर सीटों पर बसपा-कांग्रेस, AIMIM से भी हारी
भाजपा ने नगर निगम की सभी 17 सीटों पर बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया है। सपा, बसपा और कांग्रेस शून्य पर सिमट गई हैं। नगर निगम में सपा 7 सीटों पर तीसरे और 8 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है। इनमें से 7 सीटें ऐसी हैं, जहां बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे। इसकी वजह से मुस्लिम वोटर्स में बंटवारा हो गया है और सपा को दूसरे या तीसरे नंबर पर खिसकना पड़ा है।
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गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी में भाजपा का लगातार 7वीं बार कब्जा
वाराणसी, गाजियाबाद और आगरा ऐसी नगर निगम सीटें हैं, जहां भाजपा को लगातार 7वीं बार मेयर मिला है। इसके अलावा भाजपा को नगर पालिका अध्यक्ष में 10 से 15 और नगर पंचायत अध्यक्ष में 95 से 100 सीटों का फायदा होता हुआ दिखाई दे रहा है।
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अब जानिए, भाजपा की क्लीन स्वीप के पीछे की 2 बड़ी वजह-
पहली– यूपी में सवर्ण मतदाता भाजपा के लिए भाग्य विधाता साबित हुआ है, खासकर नगर निगम सीटों पर। जिन 17 नगर निगम में भाजपा ने जीत हासिल की है, उनमें से 11 सीटों पर सवर्ण वोटर्स 50% से ज्यादा हैं। 5 सीटों पर 40% से ज्यादा हैं। सिर्फ एक सीट आगरा थी, जहां सवर्ण वोटर 34% हैं।
दूसरी- बसपा। जिन मुस्लिम सीटों पर सपा ने अपने कैंडिडेट खड़े किए थे। वहां बसपा ने भी मुस्लिम कैंडिडेट्स को उतारा था। इसके अलावा बसपा ने कुल 17 में से 11 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे। जबकि सपा ने 4 सीटों पर मुस्लिम उतारे थे। इसकी वजह से दो पार्टियों के बीच मुस्लिम वोट बंट गया। नतीजा ये हुआ कि न बसपा जीत पाई और न सपा को जीत मिली। औवेसी की पार्टी ने भी सपा के वोट काटे।
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अब पढ़िए…17 नगर निगम में भाजपा की जीत के मायने और समीकरण..
आगरा: भाजपा की मेयर प्रत्याशी हेमलता दिवाकर जीत गई हैं। उन्होंने बसपा प्रत्याशी डॉ. लता वाल्मीकि को हराया है।
आगरा नगर निगम में 1989 से 2023 तक 7वीं बार कमल खिला है। बसपा ने टक्कर जरूर दी, लेकिन सफलता नहीं मिली।
मेरठ: भाजपा मेयर प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया ने जीत दर्ज की है। हरिकांत ने सपा की सीमा को हराया है।
मेरठ को जीतने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी। इनमें भाजपा के चार सांसद, तीन विधायक और तीन एमएलसी हैं। इनमें दो राज्यमंत्री दिनेश खटीक और डॉ. सोमेंद्र तोमर शामिल रहे। भाजपा के फायर ब्रांड नेता संगीत सोम भी यहीं से हैं।
1995 से 2017 तक यहां 5 बार मेयर का चुनाव हुआ है। इसमें 2 बार भाजपा और तीन बार बसपा जीतने में कामयाब रही थी।
मुरादाबाद: बीजेपी के विनोद अग्रवाल जीत गए हैं। उन्हें 1,21,415 वोट मिले हैं। उन्होंने कांग्रेस के हाजी रिजवान कुरैशी को 3589 वोटों से हराया है।
यहां भाजपा हैट्रिक लगाने में सफल रही है। भाजपा यहां 2012 और 2017 में भी जीती थी। मुरादाबाद में जीत का आधार दलित और मुस्लिम वोटर्स निर्णायक रहे हैं।
मुरादाबाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का गृह जनपद है। प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यपाल सैनी भी यहीं से आते हैं।
हालांकि मुरादाबाद सपा का गढ़ थी। यहां सपा के फिलहाल 5 विधायक हैं और सांसद भी सपा के हैं। सिर्फ एक विधायक भाजपा से है।
लखनऊ: भाजपा मेयर प्रत्याशी सुषमा खर्कवाल जीत गई हैं। उन्होंने सपा प्रत्याशी वंदना मिश्रा को हराया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते हमेशा से इस सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है। लखनऊ भाजपा की गढ़ सीटों में भी शुमार है।
2017 में भाजपा प्रत्याशी संयुक्ता भाटिया 1.30 लाख वोट से सपा प्रत्याशी मीरा वर्धन से जीती थीं। 2012 में भाजपा से डॉ. दिनेश शर्मा एक लाख वोट से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. नीरज बोरा से जीते थे।
प्रयागराज: बीजेपी प्रत्याशी उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने 1 लाख 29 हजार 394 मतों से सपा प्रत्याशी अजय कुमार श्रीवास्तव को हराया है। अजय कुमार को 1 लाख 62 हजार 42 मत मिले। यहां कुल 4,94,344 वोट पड़े थे।
भाजपा ने मंत्री नंद गोपाल नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता का टिकट काटकर इस बार गणेश केसरवानी को टिकट दिया था। इससे भाजपा में बगावत भी देखने को मिली थी। मंत्री नंदी के वार्ड में भाजपा हार गई है।
गाजियाबाद: भाजपा मेयर प्रत्याशी सुनीता दयाल 2 लाख 87 हजार वोटों से जीत गई हैं। भाजपा यहां लगातार 7वीं बार जीती है।
गाजियाबाद से केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह, राज्यमंत्री नरेंद्र कश्यप, विधायक नंद किशोर गुर्जर सहित 5 विधायकों के पास भाजपा की जीत की जिम्मेदारी थी।
अलीगढ़: भाजपा प्रत्याशी प्रशांत सिंघल ने जीत दर्ज की है। सिंघल को 60902 वोट मिले हैं। समर्थकों ने जय जय श्री राम और वंदे मातरम के नारे लगाए।
अलीगढ़ नगर निगम में 2017 में बसपा ने बाजी मारी थी। इससे पहले भाजपा लगातार चार बार इस सीट को जीती थी।
कानपुर: भाजपा प्रत्याशी प्रमिला पांडे ने सपा की वंदना वाजपेयी को हरा दिया है। यूपी का चौथा सबसे बड़ा नगर निगम कानपुर है। कानपुर नगर निगम का बजट 1400 करोड़ रुपए का है। यहां भाजपा लगातार चौथी बार जीती है।
1995 में सरला सिंह भाजपा से मेयर बनी थीं। इसके बाद 2000 में कांग्रेस के अनिल शर्मा ने मेयर बने थे। 2006 से लगातार भाजपा कानपुर में मेयर पद पर जीत दर्ज कर रही है।
2006 में भाजपा के रवींद्र पाटनी ने जीत दर्ज की थी। 2012 में जगतवीर सिंह द्रोण मेयर बने थे। 2017 और 2023 के निकाय चुनाव में प्रमिला ने जीत दर्ज की है।
फिरोजाबाद: भाजपा प्रत्याशी कामिनी राठौर ने सपा प्रत्याशी मशरूम फातिमा को 26961 वोटों से हरा दिया है।
बसपा ने रुखसाना बेगम को टिकट दिया था। बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से यहां के समीकरण बदल गए।
बरेली: महापौर सीट पर डॉ. उमेश गौतम दूसरी बार भाजपा के मेयर चुने गए हैं। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. आईएस तोमर को हरा दिया है।
बरेली में साल 2000 में डॉ. आईएस तोमर निर्दलीय लड़े और जीते थे। बाद में वह सपा में शामिल हो गए थे। 2005-06 में कांग्रेस की सुप्रिया ऐरन ने जीत हासिल की थी।
2012 में सीट सामान्य हुई और सपा से डॉ. आईएस तोमर चुनाव जीते। 2017 में भाजपा ने उमेश गौतम को चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की।
शाहजहांपुर: भाजपा प्रत्याशी अर्चना वर्मा 30,256 वोट से जीत गई हैं। अर्चना को 80,740 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 50,484, सपा को 20,144 और बसपा को 5,573 वोट मिले हैं।
शाहजहांपुर नगर निगम में पहली बार महापौर पद के लिए चुनाव हो रहा था। भाजपा ने नामांकन के अंतिम दिन से एक दिन पहले एक दिन पहले सपा की महापौर प्रत्याशी अर्चना वर्मा अपना प्रत्याशी बनाकर बड़ा सियासी दांव चला था।
गोरखपुर: भाजपा प्रत्याशी डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने 67,026 वोटों से सपा प्रत्याशी काजल निषाद को हरा दिया है। मंगलेश श्रीवास्तव को 2,14,983 और काजल निषाद को 1,47,957 वोट मिले हैं।
गोरखपुर नगर निगम की सीट इस बार अनारक्षित हुई थी। 2017 में मेयर पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थी। 2017 में मेयर पद पर भाजपा से सीताराम जायसवाल विजयी हुए थे।
झांसी: भाजपा के मेयर प्रत्याशी बिहारीलाल ने 80 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के अरविंद कुमार बबलू हैं।
नगर निगम मेयर सीट पर 2017 में भी भाजपा ने जीत हासिल की थी। भाजपा प्रत्याशी रामतीर्थ सिंघल मेयर बने थे। उन्होंने बसपा के प्रत्याशी बृजेन्द्र कुमार व्यास को 16 हजार से अधिक वोटों से हराया था।
अयोध्या: भाजपा प्रत्याशी गिरीशपति तिवारी ने सपा को हराया है। यहां भाजपा लगातार दूसरी बार जीती है। यहां पर भाजपा ने अपने मेयर का टिकट काट दिया था।
मथुरा: भाजपा मेयर प्रत्याशी विनोद अग्रवाल जीत गए हैं। उनके मुकाबले में निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार रावत थे। जिन्हें कांग्रेस, सपा और RLD ने समर्थन दिया था।
वाराणसी: भाजपा के मेयर प्रत्याशी अशोक तिवारी ने जीत हासिल की है। अशोक तिवारी ने सपा के ओमप्रकाश सिंह को बड़े अंतर से हराया है। भाजपा यहां लगातार 7वीं बार जीती है।
1995 से अब तक वाराणसी नगर निगम में भाजपा का ही मेयर रहा है। सरकार में 3 मंत्री यहां से थे, उनकी साख भी दांव पर थी।
सहारनपुर: भाजपा के डॉ. अजय सिंह ने बसपा की खदीजा मसूद को 8850 वोटों से हराया है।
दलित-मुस्लिम समीकरण के चलते बसपा के पक्ष में मुस्लिमों और दलितों का ध्रुवीकरण देखने को मिला। इससे सपा को नुकसान हुआ।
बसपा ने पूर्व विधायक इमरान मसूद की भाभी खतीजा मसूद, सपा ने विधायक आशु मलिक के भाई नूर हसन मलिक को टिकट दिया था।