अशोक भाटिया
वैसे तो उत्तरप्रदेश में कानून-व्यवस्था के लिए लोग बसपा सुप्रीमो मायावती के शासन को याद करते हैं। मायावती की छवि सख्त प्रशासक की थी। माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ वे अपनों पर भी कार्रवाई करने में नहीं हिचकती थीं। मगर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति ने माफिया और अपराधियों में खौफ पैदा किया है।
बेटियों की सुरक्षा के लिए चलाए गए एंटी रोमियो स्क्वॉयड अभियान के चलते भी महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी देखी गई है जो पूरे देश के लिए अब नजीर बनकर उभरी है। अखिलेश सरकार में अपराधों की स्थिति और कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाकर सत्ता में आई योगी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ कोई मुरव्वत नहीं करते हुए उनके एनकाउंटर करने पर अधिक जोर दिया।
मेरठ में चोरी के वाहनों को काटकर बेचने वाले बाजार पर शिकजा कसा। बाजार चला रहे 31 से ज्यादा माफिया की 4० करोड़ की संपत्ति कुर्क की गई। मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा, अतीक अहमद जैसे माफिया व अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। 18०० करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई। दावा किया गया कि इससे प्रदेश का माहौल बेहतर हुआ और निवेश बढ़ने के साथ रोजगार के नए अवसर पैदा हुए।
पर हाल ही में उत्तरप्रदेश में जो घटना हुई है उससे पूरे देश में सियासी परा गरम है। राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके सरकारी गनर की प्रयागराज में हुई हत्या के मामले से उत्तर प्रदेश की सियासत गर्माने का मौका दे दिया हैं। यह हत्याकांड से पूरा प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा है। इसमें मुख्यमंत्री ने विधानसभा में जब घोषणा की है कि माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे। उन्होंने जब ये कहा है, उसके दो दिन बाद ही अतीक अहमद के पुराने साथी अरबाज को पुलिस और एसटीएफ की टीम ने एनकाउंटर में गिरा दिया है और उसकी मौत हो गई है।
वो उमेश हत्याकांड का लिक तलाश कर रहे थे, कौन इसमें कौन लोग शामिल थे, उसको तलाशा जाए। तलाश के दौरान पुलिस को पता चला कि स्टूडेंट का एक मुस्लिम हॉस्टल है, वहां पर इनके शूटर और सारे लोगों का आना-जाना था। पुलिस ने वहां छापा मारा, तो वहां से सदाकत नाम के गाजीपुर के एक लड़के को गिरफ्तार किया है पुलिस ने। अभी उससे पूछताछ चल रही है। उससे बातचीत में पता चला है कि अरबाज उद्दीन जो गाड़ी चला रहा था, ये ड्राइवर है। इसके फादर भी अतीक अहमद के ड्राइवर थे। उसको पकड़ लिया और वारदात में शामिल था।
वह भागने की कोशिश कर रहा था, आमने-सामने एनकाउंटर हुआ। उसमें वह मारा गया। चूंकि अतीक अहमद का पुराना आपराधिक इतिहास है। उस पर सौ से अधिक मुकदमें हैं। इस समय वह साबरमती जेल में बंद है। जब जनवरी 2००5 में राजूपाल की हत्या कर दी गई थी। उसमें ये सामने आया था कि अतीक के भाई अशरफ सीधे-सीधे वारदात में शामिल थे और वह भी घटनास्थल पर मौजूद थे। उसका पूरा मामला चल रहा है। और उमेश पाल उसी हत्याकांड के गवाह थे।
राजूपाल पहले अतीक अहमद के साथ ही था। 2००4 में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो अतीक अहमद फूलपर चले गए सांसद का चुनाव लड़ने। उस वक्त अतीक अमहद प्रयागराज की जो पश्चिम विधानसभा सीट है, उसके विधायक थे।
फूलपुर से चुनाव लड़े और चुनाव जीत गए 2००5 में। उसके बाद प्रयागराज पश्चिम की विधानसभा सीट खाली हो गई। उन्होंने वहां से अपने भाई अशरफ को लड़ाने का फैसला किया। लेकिन उसी वक्त राजूपाल ने भी वहां से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी और बीएसपी ने उनको टिकट दे दिया। और वो जीत भी गए और अशरफ चुनाव हार गए।
धीरे-धीरे ये पॉलिटिकल दुश्मनी व्यक्तिगत दुश्मनी में बदल गई और 25 जनवरी 2००5 में जब राजूपाल एसआरएम हॉस्पिटल कॉलेज गाड़ी से जा रहे थे, तभी एक स्कॉर्पियो गाड़ी ने उनको ओवरटेक किया और उन पर हमला कर दिया।
वैसे सीधे-सीधे पुलिस ने तो अभी ये नहीं माना है कि इसमें मुख्तार अंसारी या उसके लोगों का नाम आ रहा है। मुस्लिम हॉस्टल से जो लड़का पकड़ा गया है, वो चूंकि गाजीपुर का है। इसके अलावा कुछ दिन पहले के एक भाई हैं, वो अतीक के भाई से मिले थे।
उसके परिवार से मिले थे। इसलिए इस तरह की कहानी चल रही है। लेकिन पुलिस को इसके कोई पुख्ता सबूत अभी नहीं मिले हैं। न ही पुलिस ने ऐसा कोई दावा किया है। ये जरूर माना जा रहा है कि साबरमती में बैठकर अतीक अहमद ने इस पूरी घटना को प्लानिग की और अपने भाई अशरफ जो बरेली जेल में बंद है उसको कहा और उसने सारे शूटर्स का इंतजाम किया। उसके बाद घटना को अंजाम दिया। क्योंकि इस समय विधानसभा चल रही है तो पूरे प्रदेश की नज़र विधानसभा पर रहती है। सदन में क्या चल रहा है, उस पर नज़र रहती है और जब से हत्या हुई है, उसके बाद से सदन में लगातार रोज ये मामला उठ रहा है।
कभी विपक्ष इसको उठाता है। योगी जी ने भी दो दिन पहले विधानसभा में खुद पूरे मामले का संज्ञान लिया और कहा, हम किसी दोषी को नहीं बख्शेंगे और जो भी माफिया हैं, उनको मिट्टी में मिला देंगे।
शायद इसके बाद उन्होंने पुलिस, एसटीएफ और गृह विभाग के तमाम आला अधिकारियों को बुलाकर निर्देश दिए कि इस घटना में जो भी दोषी है उसको तुरंत से तुरंत पकड़ा जाए। गिरफ्तार किया जाए। और जो भी हो उसकी पूरी लिस्ट बना ली जाए कि इसका कहां से लिक है। तो पुलिस इसी दिशा में काम कर रही है।दूसरी बात, जहां तक राजनीति की बात हैं, चूंकि उमेश पाल भी एक पिछड़े वर्ग से आते हैं। राजू पाल भी वैकवर्ड वर्ग से आते हैं।
चूंकि इस समय उत्तर प्रदेश की सियासत पिछड़ों को लेकर काफी गर्म रहती है। इस वजह से भी सारे राजनीतिक दल ये चाहते हैं, खासतौर पर समाजवादी पार्टी। ये चाहती है कि जो गैर यादव और पिछड़ा वोट कहीं उनसे छिटक न जाए। राजू पाल की पत्नी पूजा पाल समाजवादी पार्टी से ही विधायक हैं। इसलिए इस पूरे मामले को हवा दी जा रही है। आज मायावती का भी बयान आया है। उन्होंने कुछ दिन पहले अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया था विश्वनाथ पाल, वह भी पिछड़े वर्ग का है।
उन्होंने विश्वनाथ पाल को उमेश के घरवालों में मिले के लिए भेजा भी है। तो पिछड़े वर्ग की जो राजनीति है उसको कोई और दल भुना न लें, इसलिए सारे दल एक्टिव हैं। और राजनीति तो हो ही रही है। हालांकि बीएसपी प्रमुख मायावती ने अतीक अहमद की पत्नी कुछ दिन पहले ही बीएसपी में शामिल हुई हैं। उन्होंने आज इसका भी एलान कर दिया है कि जब तक जांच में वो दोषी नहीं पाई जाती हैं, तब तक हम उन्हें पार्टी से बाहर नहीं करेंगे।
ये कहा जा रहा है कि वो पार्टी से बाहर की जाएंगी। चूंकि उन्हें मुस्लिम वोट की भी फिक्र है, इसलिए उन्होंने ऐसा किया है कि जब तक पुख्ता सबूत नहीं मिल जाते। लगातार मायावती कह रही हैं, मान लीजिए अतीक अहमद माफिया है, इसलिए उनकी पत्नी का क्या दोष है? इस तरह वो अपने मुस्लिम वोटबैंक को भी पुश करना चाहती हैं।
जब मुख्य मंत्री ने ये बात कही कि आपका ही पाला-पोषा हुआ माफिया है तो थोड़ी सी झिझक उनमें जरूर दिखी। समाजवादी पार्टी लगातार इसकी मांग कर रही है। आज बीएसपी भी उस पर कूद पड़ी है। उमेश पाल के परिवार वालों को नौकरी देने, मुआवजा देने की मांग की है। चूंकि विधानसभा सत्र चल रहा है इसलिए मामले को थोड़ा सा फुटेज मिल रहा है और यह लोगों के सामने आ रहा है।