योगी बोले- अगर मैं अयोध्या में मस्जिद की नींव रखने गया तो बंद हो जाएंगी कई की दुकानें

लखनऊ। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को भूमि पूजन किया। इस कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार देर शाम को राम मंदिर के साथ-साथ विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात की। मुख्यमंत्री योगी ने मस्जिद की नींव रखे जाने पर भी स्पष्ट जवाब देते हुए कहा कि मुझे न तो इस कार्यक्रम में कोई बुलाएगा और मैं जाऊंगा भी नहीं। उन्होंने कहा कि अगर वह मस्जिद गए तो कई लोगों की दुकान बंद हो जाएगी।

एक निजी समाचार चैनल से बातचीत के दौरान जब योगी से सवाल किया गया कि राम मंदिर के भूमि पूजन पर आपने सभी धर्मों के लोगों को बुलाया, वे कार्यक्रम में शामिल भी हुए। ऐसे में कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में जब मस्जिद की नींव रखी जाएगी तो सीएम योगी वहां नहीं जाएंगे। इस पर योगी ने कहा, ‘मेरा जो भी काम है, वह मैं करूंगा। बाकी मुझे न तो वहां बुलाया जाएगा और मैं वहां जाऊंगा भी नहीं।’ योगी ने कहा कि अगर मैं वहां चला गया तो कई लोगों की तो दुकानें की बंद हो जाएंगी।

‘दशकों पूर्व देखा सपना अब जाकर साकार हुआ’
योगी ने कहा, ‘यह मेरे लिए भावुक, उत्साह-उमंग, गौरव का भी क्षण था। उत्साह-उमंग का इसीलिए क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार बाहर की सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी यूपी सरकार के पास है। मैंने पिछले 3 वर्षों में इस कार्य को बहुत नजदीक से महसूस किया है। मुझे पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो दायित्व दिया है, उस काम को करने के लिए मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं।

योगी ने कहा- मेरी गुरू परंपरा ने यह संकल्प दशकों पूर्व देखा था, यह आज साकार हुआ है, उन दिव्य आत्माओं को इससे असीम शांति मिल रही होगी। मंच पर जितने भी महानुभाव थे, ये सभी राम जन्मभूमि के साथ बहुत आत्मीय रूप से जुड़े रहे हैं। स्वाभाविक रूप से यह दिन हमारे लिए उमंग-उत्साह का दिन भी है।’

कांग्रेस के नेताओं को यह सदबुद्धि पहले ही आ जानी चाहिए थी
उधर, योगी आदित्यनाथ ने प्रियंका गांधी के बयान कि ‘राम सबके हैं’ पर भी जवाब दिया। योगी ने कहा कि राम सभी के हैं, हम पहले से ही यह बात कहते आए हैं। पहले ही यह सदबुद्धि सभी को आ जानी चाहिए थी जब कुछ लोगों के पूर्वजों ने रामलला की मूर्तियों को हटाने की कुत्सित चेष्टा की थी।

योगी ने कहा कि आखिर कौन लोग थे वो, किसके पूर्वज थे जो अयोध्या में रामलला का मंदिर नहीं चाहते थे। कौन लोग थे वे, जो गर्भगृह जहां आज शिलान्यास हुआ है, 1989 में वहां शिलान्यास न करके वहां से 200 मीटर दूर कह रहे थे कि यहां शिलान्यास करेंगे। कह रहे थे कि विवादित परिसर में कुछ नहीं होना है। राम के नाम पर बांटने का कुत्सित प्रयास नहीं करना चाहिए। हमने राम के नाम पर राजनीति नहीं की है। हम जिस निष्ठा के साथ 1984 में जुड़े थे, उसी निष्ठा से 2020 में भी जुड़े हुए हैं।’

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