योगी Vs अखिलेश: लखनऊ में CM और पूर्व CM की एक साथ लगी होर्डिंग

लखनऊ। मुरादाबाद में पत्रकारों की पिटाई के मामले में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर दर्ज FIR का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सोमवार को लखनऊ के 1090 चौराहे पर एक विवादित होर्डिंग दिखी। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दर्ज मामलों को वापस लिए जाने और अखिलेश यादव पर दर्ज कराए गए मामलों का जिक्र है। पुलिस प्रशासन ने विवादित होर्डिंग को हटाया है। पुलिस अब होर्डिंग लगाने वाले की तलाश कर रही है।

इन मामलों का किया गया जिक्र

होर्डिंग में एक तरफ अखिलेश यादव की फोटो तो उनके बगल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो है। जिसका शीर्षक मुकदमे लगाइए और मुकदमे हटाइए दिया गया है। फोटो के नीचे मुकदमों का जिक्र है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो के नीचे IPC की धारा 147, 148, 149, 153A, 295, 297, 307, 336, 435, 504, 506 व 527 आदि लिखा गया है।

अखिलेश यादव की फोटो के साथ IPC की धारा 147 (दंगा), 342 (गलत तरीके से रोकना), और 323 (चोट पहुंचाने) का जिक्र है। होर्डिंग में यह कहीं भी नहीं दर्शाया गया है कि इसे किसके द्वारा लगाया गया है। पुलिस काे शक है कि इसे सपा कार्यकर्ताओं द्वारा ही लगवाया गया होगा।

11 मार्च को दर्ज हुआ था केस
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व उनके कार्यकर्ता 11 मार्च की शाम मुरादाबाद के दिल्ली रोड स्थित होली डे रेजीडेंसी होटल में थे। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेसवार्ता कर रहे थे। प्रेस कान्फ्रेंस खत्म होने के बाद होटल की लॉबी में कुछ पत्रकारों ने अखिलेश यादव से कुछ व्यक्तिगत सवाल पूछा।

इस पर सपा अध्यक्ष नाराज हो गए। अखिलेश यादव ने अपने सुरक्षा कर्मियों व पार्टी कार्यकर्ताओं को पत्रकारों पर हमला करने के लिए उकसाया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मी व कार्यकर्ता मीडियाकर्मियों पर टूट पड़े। उन्होंने मीडियाकर्मियों को दौड़ाकर पीटा। इसमें कई पत्रकारों को गंभीर चोटें आईं। घायल पत्रकारों का उपचार अस्पताल में चल रहा है।

घटना के बाद पत्रकारों ने मुरादाबाद के एसएसपी को अखिलेश यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए एक प्रार्थना पत्र दिया था। इसके बाद हमले की जांच के आदेश मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने पुलिस को दे दिए थे। इस मामले में अखिलेश समेत समाजवादी पार्टी के 20 अज्ञात कार्यकर्ताओं को आरोपी बनाया गया है। सभी पर IPC की धारा 147 (दंगा), 342 (गलत तरीके से रोकना), और 323 (चोट पहुंचाने) के तहत दर्ज की गई है।

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