राजनीति से जाति नहीं जाती, फिर समीकरणों से खेल रही BJP, इसलिए बदल डाले CM

पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह अकसर बदली हुई राजनीति की बात करते रहे हैं, जिसमें जाति और धर्म के आधार पर गणित की कोई जगह नहीं है। हरियाणा में गैर जाट सीएम खट्टर, गुजरात में जैन समुदाय के रूपाणी और महाराष्ट्र में ब्राह्मण नेता देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाकर बीजेपी ने इस बात को जमीन पर भी लागू करने का प्रयास किया था।

लेकिन अब ऐसा लगता है कि पार्टी अपनी इस रणनीति में करेक्शन कर रही है। मुख्यमंत्रियों को बदलने से इसकी झलक मिलती है। गुजरात में पार्टी ने चुनाव से ठीक एक साल पहले रूपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाया है। पाटीदार समुदाय से आने वाले भूपेंद्र पटेल को लाना इस बिरादरी को साधने की कोशिश माना जा रहा है।

उत्तराखंड में भी देखें तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर बीजेपी तीरथ सिंह रावत को लाई और फिर उन्हें भी हटाने की नौबत आई तो ठाकुर बिरादरी से ही पुष्कर सिंह धामी को चुना। इसके अलावा कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को हटाने के बाद भी नया सीएम पार्टी ने प्रभावशाली लिंगायत समुदाय से ही चुना है।

इन बदलावों से माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र के नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस को भी पार्टी मुख्य भूमिका से हटा सकती है। दोनों ही नेताओं को पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने राज्य के जाति समीकरणों से परे जाकर चुना था।

मनोहर लाल खट्टर जाटलैंड कहे जाने वाले हरियाणा में पंजाबी समुदाय से आते हैं। वहीं देवेंद्र फडणवीस मराठा राजनीति के खांचे में फिट नहीं बैठते और ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। गुजरात की बात करें तो पाटीदार आंदोलन के दौरान बीजेपी ने विजय रूपाणी को सीएम बनाया, जो जैन समुदाय से आते हैं। वह राज्य के सीएम बनने वाले पहले जैन थे।

तब माना जा रहा था कि बीजेपी ने जाति की राजनीति को कड़ा संदेश दिया है, लेकिन 5 साल बाद राजनीति ने पूरी तरह से यूटर्न ले लिया है। अब बीजेपी ने फिर से पाटीदार नेता पर ही दांव लगाया है। कहा जा रहा है कि 2017 में महज 99 सीटें जीत पाने से बीजेपी सचेत है और अपने गढ़ को बचाने के लिए उसने जातिगत समीकरणों के साथ ही जाने का फैसला लिया है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने राज्यों में अनुभवी नेताओं की बजाय सरप्राइज देते हुए जूनियर नेताओं को सीएम बनाया है। इस तरह से पार्टी ने दो समीकरण साधे हैं कि सीएम कोई भी रहे, चेहरा पीएम मोदी का ही रहेगा। इसके अलावा जाति के समीकरणों का ध्यान रखा है।

दरअसल पार्टी मानती है कि चुनाव में उतरने के लिए अब भी पीएम मोदी का चेहरा सबसे भरोसेमंद है। ऐसे में जाति समीकरणों को साधते हुए उन नेताओं को चुना जाए, जो नए हैं और उनके खिलाफ किसी तरह की एंटी-इन्कमबैंसी नहीं है। इस तरह पार्टी ने एक फैसले से दो समीकरणों को साधने के प्रयास किए हैं।

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