नई दिल्ली: 12 सितंबर की दोपहर लगभग 3 बजे का वक्त रहा होगा। बेंगलुरु के सीवी रमन नगर में रहने वाले और मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत केजे राव उस दिन घर पर ही थे और कुछ जरूरी काम निपटा रहे थे। तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी। फोन किसी अंजान नंबर से था। राव ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ मौजूद शख्स ने भारी आवाज में कहा कि वो भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से बात कर रहा है।
उसने बताया कि ये केवाईसी से जुड़ा धोखाधड़ी का मामला है, इसलिए आपका मोबाइल नंबर बंद किया जा रहा है। ये सुनते ही राव परेशान हो गए। खुद को ट्राई का अधिकारी बताने वाले शख्स ने राव से कहा कि इस मामले में जांच हो रही है और उनकी कॉल आगे डायवर्ट की जाएगी। शख्स ने राव से 9 नंबर दबाने के लिए कहा। राव ने जैसे ही 9 नंबर दबाया, उनकी कॉल एक दूसरे आदमी के पास डायवर्ट हो गई।
इस नए आदमी ने खुद को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। उसने राव से कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल एक ऐसे बैंक अकाउंट के लिए हुआ है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही थी। इस आदमी ने राव से कुछ डिटेल ली और अब कॉल को एक तीसरे शख्स के पास डायवर्ट कर दिया।
एफआईआर और वीडियो कॉल पर कोर्ट
इस तीसरे शख्स ने अपने आप को सीबीआई का अधिकारी बताते हुए राव से कहा कि उनके नाम पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है, उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। शख्स ने कहा कि अभी थोड़ी देर बाद वर्चुअल तरीके से उनकी कोर्ट में पेशी होगी। राव को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है। दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी कि किसी तरह वो जेल जाने से बच जाएं।
फर्जी कोर्ट से जारी हुआ आदेश
कुछ देर बाद उनसे वीडियो कॉल करने के लिए कहा गया और जब राव ने ऐसा किया तो सामने वाकई कोर्टरूम जैसा माहौल था। राव खामोश थे और दूसरी तरफ कुछ कागजी कार्रवाई चल रही थी। थोड़ी देर बाद इस ‘कोर्ट’ में एक आदेश सुनाया गया, जिसके तहत राव को अपने बैंक अकाउंट में जमा रकम, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड को ट्रांसफर करने के लिए कहा गया।
रातभर वीडियो कॉल से निगरानी
राव को बताया गया कि इस रकम की जांच होगी और बाद में इसे वापस कर दिया जाएगा। राव से जैसा करने को कहा गया, वो करते चले गए। करीब 59 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर होने के बाद राव से कहा गया कि जब तक जांच नहीं होती, वो ऑनलाइन निगरानी में रहेंगे। राव रातभर वीडियो कॉल पर रहे, लेकिन अब दूसरी तरफ से किसी की आवाज नहीं आ रही थी। उन्होंने शुरुआती नंबर पर फोन मिलाया, लेकिन अब वो भी बंद हो चुका था।
हकीकत खुली तो लगा झटका
राव को एहसास हो गया कि वो ठगी का शिकार हुए हैं। अब वो सीधे पुलिस थाने पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई। राव की शिकायत पर साइबर क्राइम विभाग ने आईटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। बेंगलुरू पुलिस ने उन बैंक खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनमें राव ने रकम ट्रांसफर की थी। पुलिस उन नंबरों की भी जांच कर रही है, जिनसे राव के पास फोन आया था।