राम मंदिर भूमि पूजन के मुहूर्त ​विवाद को लेकर काशी में शास्त्रार्थ की चुनौती

वाराणसी। अयोध्या में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन मुहूर्त को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने भी भूमि पूजन के समय को अशुभ बताया है। मन्दिर निर्माण के लिए भूमिपूजन का मुहूर्त काशी के आचार्य पण्डित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है। भूमि पूजन के मुहूर्त को लेकर आचार्य द्रविण को काशी के ही अंकित तिवारी नाम के ज्योतिषी ने शास्त्रार्थ की चुनौती दी है।
इसकी जानकारी होने पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने शास्त्रार्थ के लिए स्थान और अन्य व्यवस्था देने का प्रस्ताव दिया है। शुक्रवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि प्राचीन काल से ही हमारे देश में सत्य पक्ष को स्थापित करने और असत्य पक्ष को हटाने के लिए शास्त्रार्थ की परिपाटी रही है।
आज भी भले ही इसका वह प्राचीन स्वरूप न रहा हो पर वाद-विवाद को समाज में सत्य पक्ष की स्थापना के लिए स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि ‘वादे वादे जायते तत्वबोधः’ अर्थात वाद-विवाद और संवाद से ही सत्य तत्व निकलकर सामने आता है। शास्त्रार्थ जनता में फैले भ्रम को स्पष्ट करने की स्पष्ट विधा है। इसीलिए श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण मुहूर्त पर उठे विवाद पर शास्त्रार्थ होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूरे देश के सामने शास्त्र का सही पक्ष सिद्ध हो इस हेतु शास्त्रार्थ होना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि यदि मुहूर्त बताने वाले आचार्य गणेश्वर शास्त्री जी और अंकित तिवारी दोनों उपर्युक्त बातें तय करें तो हम इस महत्वपूर्ण विषय पर शास्त्रार्थ के लिए श्रीविद्यामठ का स्थान और अन्य व्यवस्था करके को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि शास्त्रार्थ का यह नियम होता है कि पहले दोनों पक्ष अपनी ओर से 5-5 नाम उपलब्ध कराते हैं। फिर उनमें से जो नाम दोनों पक्षों की ओर से आता है उन्हीं को शास्त्रार्थ का मध्यस्थ स्वीकार किया जाता है। इसके बाद तिथि, स्थान, समय एवं शास्त्रार्थ की शर्तें तय होती है और शास्त्रार्थ आरम्भ होता है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि भूमि पूजन मुहूर्त को गलत बताकर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज ने अपना विरोध प्रकट किया है। इस हेतु उन्होंने अनेक शास्त्रों से उद्धरण प्रस्तुत किए हैं और यह भी कहा है कि अशुभ मुहूर्त में किए गये कार्यों का दुष्परिणाम पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है।
स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती का पक्ष
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने 05 अगस्त को भूमि पूजन के समय को अशुभ बताया है। उनका पक्ष है भाद्रपद के महीने में किसी भी तरह का शुभ कार्य का शुभारंभ अच्छा नहीं माना जाता है। उनका मानना है कि कोई कार्य उत्तम काल खंड में शुरू किया जाता है। पांच अगस्त को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह-मंदिरारंभ निषिद्ध है। उन्होंने कहा है कि हम केवल यह चाहते हैं कि मंदिर का निर्माण ठीक ढंग से हो और आधारशिला सही समय पर रखी जाए। अभी जो तिथि तय की गई है वह ‘अशुभ घड़ी’ है।
प्रधानमंत्री चांदी की ईंट रखकर करेंगे निर्माण का शुभारंभ
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 05 अगस्त को मंदिर के लिए भूमि पूजन का समय तय किया है। दोपहर को अभिजीत मुहूर्त में सर्वार्थ सिद्धि योग में भूमि पूजा आरंभ हो जाएगी। कलश में कई पवित्र नदियों के जल और कई तीर्थ क्षेत्रों कि मिट्टी के साथ भूमि पूजन किया जाएगा। भूमि पूजन में मंदिर की नींव में लगभग 40 किलो चांदी की शिला का पूजन किया जाएगा। इसके अलावा चांदी की ईंट भी रख जाएगी।
भूमि पूजन के लिए शिलान्यास का मुहूर्त काशी के आचार्य पण्डित गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने निकाला है। उन्होंने 32 सेकेण्ड का मुहूर्त बताया है। अपराह्न 1 बजकर 15 मिनट पर मंदिर का भूमि पूजन किया जाना है। राम मंदिर भूमि पूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री मंदिर के नींव में ईंट रखकर निर्माण का शुभारंभ करेंगे।

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