पटना। महागठबंधन में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। परस्पर विरोधी बयानों के कारण हमेशा जदयू और राजद के नेताओं में टग ऑफ वॉर की स्थिति बनी रहती है। रामचरितमानस को ले कर ही जदयू और राजद के बीच हमेशा घमासान मचा रहता है। मंगलवार को ही जदयू विधायक संजीव सिंह ने अपने बयान से राज्य की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है।
यह सच है कि राजद के नेता शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर का खुल कर समर्थन तो नहीं करते पर विरोध भी नहीं करते। जदयू का हाल इस से अलग है। जदयू के कई नेताओं ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को आड़े हाथ लेते हुए जमकर लताड़ा। संजीव सिंह के पहले मंत्री अशोक चौधरी और पूर्व मंत्री नीरज सिंह ने भी शिक्षा मंत्री की जबरदस्त आलोचना की है। लेकिन चिराग पासवान के चाचा ने कुछ अलग भविष्यवाणी ही कर दी है। इस भविष्यवाणी के केंद्र में राहुल गांधी भी हैं।
क्या कहा जदयू विधायक संजीव सिंह ने ?
जेडीयू विधायक संजीव सिंह ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान पर तल्ख तेवर दिखाया। संजीव सिंह ने कहा कि ‘शिक्षा मंत्री के बयान का हम और सारे हिंदू खुलकर विरोध करते है। वह जातिवाद से रामचरितमानस को बांधना चाह रहे हैं। यह काफी शर्मनाक बात है। इससे बड़ा पाप कुछ हो ही नहीं सकता है। शिक्षा मंत्री की चीप पॉलिटिक्स की मंशा स्पष्ट हो रही है। अगर उनको हिंदू धर्म से दिक्कत है तो धर्म परिवर्तन कर लें।
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने किसी और धर्म के बारे में ऐसी टिप्पणी की होती तो आज सड़क पर चलने के लायक नहीं रहते। हिंदू धर्म ही ऐसा धर्म है जिसमें सब कुछ बर्दाश्त किया जाता है, लेकिन इसे हिंदुओं की मजबूरी न समझें और मंत्री अपनी सीमा में रहें। मुझे तो लगता है कि शिक्षा मंत्री मानसिक रोगी है। उन्हें इलाज की जरूरत है।’
जिसे गांधी,लोहिया मानते हैं उसे सबको मानना चाहिए- JDU MLC
जेडीयू विधानपार्षद और मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि ‘रामचरितमानस हमारा धार्मिक ग्रंथ है। इसकी चर्चा हमारे संविधान में भी की गई है। इस ग्रंथ की बिहार में राममनोहर लोहिया से लेकर महात्मा गांधी तक ने तारीफ की। रामचरितमानस के बारे में महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर हमारे मौत के समय भी मुंह में राम का नाम नहीं आता है, तो इस तरह की जिंदगी का कोई फायदा नहीं।
इसलिए उन्होंने अपने अंतिम समय में भी हे राम का उच्चारण किया था। जबकि लोहिया ने रामायण मेला ही लगवाने का काम किया था।’ जदयू नेता ने नरम स्वर में ही कहा कि ‘जो भी लोग इस पर कुछ भी कह रहे हैं, वह पूरी तरह से गलत बात बोल रहे हैं। क्योंकि हम मानते हैं कि संविधान में जो कुछ भी लिखा हुआ है। जिसका उन वाक्यों से कहीं न कहीं उल्लंघन हो रहा है। यह मेरा अपना विचार है। हो सकता है शिक्षा मंत्री हमसे ज्यादा ज्ञानी हैं।’
मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था- गलत बयानी कर रहे हैं शिक्षा मंत्री
मंत्री अशोक चौधरी ने शिक्षा मंत्री बयान पर नाराजगी प्रगट करते कहा कि उनका बयान गलत है। रामायण पर बहुत लोगों का विश्वास है।शिक्षा मंत्री को ऐसा बयान नही देना चाहिए। वे गलत तरीके से रामायण की चौपाई की व्याख्या कर गए। इस से युवाओं में काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो जायेगी। शिक्षा विभाग ज्ञान देने की जगह है वहां से अविश्वास की कोई धारा नहीं बननी चाहिए।
महागठबंधन की सरकार कुछ दिन की मेहमान- पशुपति पारस
केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा कि ‘बिहार में महागठबंधन नहीं, लठबंधन की सरकार चल रही है। सरकार बने हुए पांच महीने ही हुए हैं लेकिन कई विकेट समाप्त हो गए हैं। एक भी रन नहीं बना है। पहले कृषि मंत्री के पद से सुधाकर सिंह तो कानून मंत्री के पद से कार्तिक कुमार का इस्तीफा लिया गया। अब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की बारी है। जिन नेताओं का बयान सामने आ रहा है, यह लोग बिहार में सरकार नहीं चलने देना चाह रहे हैं। दबाव बना रहे हैं कि किसी तरह तेजस्वी प्रसाद को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया जाए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक जंगल में दो शेर नहीं रह सकते हैं।’
राहुल गांधी कराएंगे नीतीश-तेजस्वी का ब्रेकअप!
पशुपति पारस ने दावा किया कि ‘बिहार में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है। जिस दिन तेजस्वी यादव फैसला करेंगे कि वो प्रधानमंत्री के लिए राहुल गांधी का समर्थन करेंगे या नीतीश कुमार का, तो उसी दिन बिहार में महागठबंधन की सरकार टूट जाएगी और पार्टी बिखर जाएगी।’ बहरहाल, जिस तरह से जदयू आक्रामक है उससे महागठबंधन में सब कुछ ठीक- ठाक नहीं चल रहा है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि होली के बाद पीएम की उम्मीदवारी को ले कर महागठबंधन में होने वाला घमासान सरकार का भविष्य तय करेगी।