लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के केन्द्र सरकार से साहूकार की तरह से व्यवहार नहीं करने के बयान पर निशाना साधा है। उन्होंने शनिवार को कहा कि राहुल गांधी को कुछ बोलने से पहले कांग्रेस सरकार में हुए घोटालों को याद कर लेना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी को नहीं मालूम, कि वह क्या बोल रहे हैं। कौन सी बात कब करनी चाहिए। अगर उन्हें पता होता तो 2014 और 2019 में जनता उन्हें जवाब नहीं देती। ये जनता द्वारा पिटे हुए मोहरे हैं और अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। राहुल गांधी को याद करना चाहिए कि कांग्रेस सरकार में क्या-क्या गुल खिलाये गये। कॉमनवेल्थ घोटाला सहित घपलों को यदि वह याद करते तो इस तरह के बयानों से परहेज करते।
प्रियंका सुझाव देने के साथ अमल भी करें
वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा द्वारा लगातार उत्तर प्रदेश सरकार को दी जा रही सलाह, पत्र लिखने आदि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुझाव देना ही नहीं बल्कि उस पर अमल भी करना चाहिए।
नकारात्मक राजनीति कर रहा विपक्ष, कुत्सित प्रयास
उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई विपक्ष के साथ मिलकर लड़ने पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच बार मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद कर चुके हैं। उनकी समस्याओं का समाधान करने का काम किया गया है। देश को स्वयं चार बार सम्बोधित कर चुके हैं। सभी राजनीति दलों के प्रमुखों के साथ बातचीत की गई है। देश के संवैधानिक ढांचे के मुताबिक पहली बार कोई सरकार इस तरह काम कर रही है। ऐसे में भी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी सहित अन्य दल नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं। ये एक कुत्सित प्रयास है। देश की जनता 2014, 2019 और उत्तर प्रदेश की जनता 2017 में इसका जवाब दे चुकी है। उन्होंने कहा कि वास्तव में ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।’इसलिए इन लोगों की जैसी भावना है, उन्हें हर जगह वैसा ही दिखायी दे रहा है।
राहुल ने कर्ज के पैकेज को बताया निराशा
इससे पहले आज राहुल गांधी ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से केन्द्र सरकार के पैकेज को लेकर कहा कि जो पैकेज होना चाहिए था वह कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था। इसको लेकर मेरी निराशा है। आज किसानों, मजदूरों और गरीबों के खाते में सीधे पैसे डालने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सरकार को कर्ज देना चाहिए, लेकिन भारत माता को अपने बच्चों के साथ साहूकार का काम नहीं करना चाहिए, सीधे उनकी जेब में पैसे देना चाहिए। इस वक्त गरीबों, किसानों और मजदूरों को कर्ज की जरूरत नहीं, पैसे की जरूरत है।