रिश्वत घोटाले में नाम आने पर नितिन गडकरी ने मीडिया को भेजा नोटिस

नई दिल्ली। केंद्र मंत्री नितिन गडकरी का स्वीडन की एक कंपनी के भारत में रिश्वत घोटाले में नाम आया है। इस घोटाले को उजागर करने वाली मीडिया कंपनियों को मानहानि का नोटिस भेजा है। स्केनिया से लेनदेन के मामले में गडकरी का नाम आने के बाद उन्होंने इस विषय में आई मीडिया रिपोर्टों को आधारहीन बताया है। गडकरी के कार्यालय ने अब स्वीडन की दो मीडिया कंपनियों एसवीटी और जेडडीएफ को मानहानि का कानूनी नोटिस भेजा है।

दोनों मीडिया कंपनियों ने फोक्सवागन की स्वीडन स्थित सहायक कंपनी स्केनिया पर आरोप लगाया था कि उसने साल 2013 से 2016 के बीच भारत में बसों के ठेके हासिल करने के लिए अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत दी थी।

स्केनिया ने इसे स्वीकारते हुए कहा है कि एक आतंरिक जांच के बाद कंपनी ने घोटाले में शामिल कर्मचारियों को निकाल दिया था और भारत में अपने व्यापार को बंद कर दिया था।

 

इतना ही नहीं उसी मीडिया रिपोर्ट में और बड़े-बड़े दावे किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार स्केनिया ने अपनी एक खास बस, मेट्रोलिंक एचडी, गडकरी से जुड़ी एक कंपनी को उनकी बेटी की शादी में इस्तेमाल के लिए दी थी, वो भी बिना पूरा भुगतान हुए।

वहीं 11 मार्च को गडकरी के कार्यालय से जारी किए गए बयान में इस आरोप का खंडन किया गया था। वहीं स्केनिया ने बताया कि उसने वो बस बेंगलुरु में अपने एक डीलर को बेच दी थी जिसने बस को नागपुर की एक दूसरी कंपनी सुदर्शन हॉस्पिटैलिटी को बेच दिया था।

 

स्केनिया ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को निजी इस्तेमाल के लिए कोई भी बस देने से इनकार किया है। लेकिन इसमें यह भी सामने आया है कि केंन्द्रीय मंत्री ने स्केनिया की इथेनॉल से चलनी वाली बसों को नागपुर में चलाने के लिए वहां की नगरपालिका को कहा था।

इसके बाद कंपनी के साथ नगरपालिका ने एक समझौते पर हस्ताक्षर कर ऐसी 55 बसें ट्रायल पर लिया और नागपुर में चलवाया। ट्रायल पूरा होने के बाद बसें कंपनी को वापस लौटा दी गईं। फिलहाल गडकरी के कार्यालय ने इस ट्रायल के बारे में जो जानकारी है उसे स्वीकारा है और कहा है कि स्केनिया की इथेनॉल से चलने वाली बसों को नागपुर में लाने में केंद्रीय मंत्री की अग्रणी भूमिका रही है।

लेकिन इस ट्रायल में भ्रष्टाचार की संभावना से केंद्रीय मंत्री और स्केनिया दोनों ने ही इनकार किया है। सभी का कहना है कि कंपनी और नगरपालिका के बीच हुआ समझौता व्यावसायिक था, लेकिन इसमें कितने पैसों का लेन देन हुआ था, यह अभी सामने नहीं आया है।

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