रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि उन्होंने कैंसर की वैक्सीन बना ली है। साल 2024 की शुरुआत में ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि वे कैंसर की वैक्सीन बनाने के बेहद करीब हैं। यह एक mRNA वैक्सीन है। इसके क्लिनिकल ट्रायल से पता चला है कि वैक्सीन से कैंसर ट्यूमर का इलाज करने में मदद मिल सकती है। रूस की इस खोज को सदी की सबसे बड़ी खोज माना जा रहा है।
कैंसर दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पूरी दुनिया में कार्डियोवस्कुलर डिजीज के बाद सबसे ज्यादा मौतें कैंसर के कारण होती हैं। पूरी दुनिया में हर साल लगभग 6.1 करोड़ लोगों की मौत होती है, जिसमें से 1 करोड़ लोगों की मौत कैंसर के कारण होती है। इसका मतलब है कि दुनिया में हर 6 मौतों में से एक मौत कैंसर के कारण होती है।
इसलिए रूस की इस खोज को पूरी दुनिया बड़ी उम्मीद की नजर से देख रही है। इससे सबकुछ बदल सकता है। हर साल लाखों लोगों की जान बच सकती है।
सवाल: कैंसर क्या है?
जवाब: हमारे शरीर में करीब 30 लाख करोड़ कोशिकाएं होती हैं। ये सभी एक निश्चित पैटर्न में नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और एक समय के बाद खुद ही नष्ट हो जाती हैं। लेकिन कैंसर होने पर यह नियंत्रित पैटर्न बिगड़ने लगता है और एक जानलेवा बीमारी का रूप ले लेता है।
सवाल: यह कैंसर वैक्सीन किस स्टेज पर है?
जवाब: कैंसर वैक्सीन का प्री-क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है। इसमें यह सफल रही है। क्लिनिकल ट्रायल और अप्रूवल के बाद इसे बाजार में लाया जा सकता है।
किसी वैक्सीन को बाजार में आने से पहले कई स्टेज से गुजरना होता है। सबसे पहले वैज्ञानिक रिसर्च करते हैं। इसके बाद वैक्सीन का प्री-क्लिनिकल ट्रायल होता है। प्री-क्लिनिकल का अर्थ है कि जब कोई दवा या वैक्सीन इंसानों से पहले लैब में, चूहों पर या किसी और तरीके से टेस्ट की जाती है।
अगर प्री-क्लिनिकल ट्रायल सफल रहता है तो इसके बाद क्लिनिकल ट्रायल किया जाता है। क्लिनिकल ट्रायल का अर्थ है दवा या वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण करना।
क्लिनिकल ट्रायल के बाद रेगुलेटरी रिव्यू होता है। सबकुछ सही रहने पर इसके प्रोडक्शन के लिए अप्रूवल मिलता है। इसके बाद जब इसे तैयार कर लिया जाता है तो क्वालिटी चेक के बाद बाजार में लाया जाता है।
सवाल: इस वैक्सीन को मार्केट में आने में कितना टाइम लगेगा?
जवाब: रूस की सरकार ने कहा है कि वैक्सीन साल 2025 के शुरुआती महीनों में ही उपलब्ध हो जाएगी। इसे रूसी कैंसर पेशेंट्स को फ्री में लगाया जाएगा। हालांकि इसे अभी सिर्फ रूस के लिए तैयार किया गया है। यह दूसरे देशों के लिए कब तक उपलब्ध होगी, इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है।
सवाल: इस वैक्सीन की संभावित कीमत क्या होगी?
जवाब: रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के प्रमुख एंड्री काप्रिन के मुताबिक, रूस में राज्य के लिए इस वैक्सीन के हर डोज की कीमत 300,000 रूबल यानी 2 लाख 46 हजार रुपये के आसपास होगी। ग्लोबल मार्केट में आने पर इस कीमत में एक्सपोर्ट और प्रिजर्व करने के खर्च भी जुड़ सकते हैं। इसलिए इसकी कीमत में बदलाव हो सकता है।
सवाल: यह वैक्सीन कैसे काम करेगी?
जवाब: यह mRNA वैक्सीन है। mRNA का मतलब है मैसेंजर-RNA। यह इंसानों के जेनेटिक कोड का एक हिस्सा है। यह हमारी कोशिकाओं में प्रोटीन बनाता है। इसे ऐसे समझिए कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है।
सवाल: यह वैक्सीन कितने तरह के कैंसर पर असर करेगी?
जवाब: यह वैक्सीन अब तक प्री-क्लिनिकल ट्रायल में ब्रेस्ट, लंग्स और कोलोन कैंसर के खिलाफ सफल रही है। हालांकि रिसर्चर्स का कहना है कि इसमें सभी तरह के कैंसर का इलाज करने की क्षमता है।
सवाल: ये वैक्सीन कैंसर की किस स्टेज तक कारगर होगी?
जवाब: यह वैक्सीन कैंसर की शुरुआती स्टेज में बहुत अधिक प्रभावी है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस स्टेज तक इसका प्रभाव रहता है। यह बताया गया है कि यह वैक्सीन शरीर के नेचुरल डिफेंस सिस्टम को मजबूत करेगी। इसकी मदद से ट्यूमर की ग्रोथ धीमी की जा सकती है। यह एक बार कैंसर खत्म होने के बाद दोबारा पनपने से रोक सकती है। अगर शुरुआती स्टेज का कैंसर है तो उसे पूरी तरह खत्म कर सकती है।
सवाल: क्या वैक्सीन लगाने के बाद रेडिएशन और कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं रहेगी?
जवाब: यह वैक्सीन सिर्फ शुरुआती स्टेज के कैंसर को पूरी तरह खत्म करने में सक्षम है। अगर कैंसर एडवांस स्टेज में है तो वैक्सीन की मदद से कैंसर की ग्रोथ स्लो की जा सकती है। इसके साथ कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी लेने की जरूरत पड़ सकती है। यह डॉक्टर कैंसर की स्टेज, लक्षण और पेशेंट की ओवरऑल हेल्थ कंडीशन के मुताबिक तय कर सकते हैं।
सवाल: क्या ये वैक्सीन कैंसर के बाद लगेगी या बचाव के लिए लगाई जा सकती है?
जवाब: इस वैक्सीन के बारे में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसका उद्देश्य कैंसर पेशेंट्स का इलाज करना है न कि पेशेंट्स में ट्यूमर बनने से रोकना। इसका मतलब है कि यह वैक्सीन कैंसर होने पर इलाज के लिए इस्तेमाल की जाएगी। यह किसी व्यक्ति को कैंसर होने से बचाने में सक्षम नहीं है।
सच यह है कि कैंसर के लिए ऐसी वैक्सीन बनाना बायलॉजिकल तौर पर संभव ही नहीं है, जिससे कैंसर होने से रोका जा सके। ऐसा इसलिए क्योंकि कैंसर कोई बीमारी नहीं है। यह शरीर में हजारों अलग-अलग स्थितियों का परिणाम है।
सवाल: क्या एक बार वैक्सीन लगने के बाद कैंसर फिर से डेवेलप हो सकता है?
जवाब: हां, ऐसा हो सकता है। यह वैक्सीन एक तरह की पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन है। इसमें व्यक्ति के कैंसर ट्यूमर का कुछ हिस्सा लेकर यह वैक्सीन तैयार की जाती है। अगर उसी व्यक्ति को ठीक होने के बाद में किसी दूसरी तरह का कैंसर डेवेलप हो जाए तो उसके लिए नई वैक्सीन तैयार करनी पड़ेगी।
सवाल: क्या हर कैंसर पेशेंट के लिए 1 घंटे के भीतर वैक्सीन तैयार हो जाएगी?
जवाब: आमतौर पर वैक्सीन तैयार करने में बहुत समय लगता है। रूस इस वैक्सीन को बनाने के लिए कस्टमाइज्ड mRNA का उपयोग करके कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करेगा। इसमें इवाननिकोव इंस्टीट्यूट की मदद ली गई है, जो इस पूरे काम को करने के लिए AI की सहायता लेगा। न्यूरल नेटवर्क कंप्यूटिंग की मदद से वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में महज आधे घंटे से एक घंटे का समय लगना चाहिए।
सवाल: क्या इस वैक्सीन के आने के बाद कैंसर एक बड़ी बीमारी नहीं रह जाएगी?
जवाब: पूरी दुनिया इस वैक्सीन को जिस उम्मीद की नजर से देख रही है, अगर सभी परिणाम उतने ही सकारात्मक रहते हैं तो कैंसर का इलाज पहले से काफी आसान हो जाएगा।
सवाल: वैक्सीन पर दुनिया के बड़े डॉक्टर क्या कह रहे हैं?
जवाब: जब तक यह वैक्सीन रेगुलेटरी बॉडी के अप्रूवल के बाद बाजार में नहीं आ जाती है, डॉक्टर्स इस बारे में बहुत कुछ कहने से बच रहे हैं। हालांकि वैक्सीन बनाने के लिए AI के इस्तेमाल पर सवाल उठ रहे हैं।