नई दिल्ली । रेस्टोरेंट्स, मिठाई की दुकान वालों और कई तरह के खुदरा कारोबारियों को अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले बिल पर एफएसएसएआइ का लाइसेंस नंबर लिखना ही होगा। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने इस वर्ष पहली अक्टूबर से फूड कारोबार करने वालों के लिए यह नियम अनिवार्य कर दिया है।
इसके साथ ही रेस्टोरेंट्स में प्रमुख स्थानों पर खाद्य सुरक्षा से संबंधित बोर्ड लगाने होंगे, जिन्हें ग्राहक आसानी से पढ़ सकें। इसके लिए भी एफएसएसएआइ अपने मौजूदा नियमों में संशोधन की तैयारी कर रहा है, जो जल्द जारी कर दिया जाएगा।
नए नियमों से ग्राहकों को यह होगा कि खाद्य पदार्थो में किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत करने में उन्हें आसानी हो जाएगी। यह नियम लागू होने के बाद नियामक के लिए भी उन कंपनियों या कारोबारियों की पहचान करना और उन्हें पकड़ना आसान हो जाएगा जिनके खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। एफएसएसएआइ ने कहा कि बहुत सी शिकायतों का निपटारा सिर्फ इसलिए नहीं हो पाता था या उनमें देरी होती थी क्योंकि शिकायत के साथ एफएसएसएआइ द्वारा आवंटित लाइसेंस नंबर नहीं लिखा होता था।
अपने बयान में एफएसएसएआइ ने कहा कि लाइसेंस और पंजीकरण जारी करने वाली संस्थाएं इस नए नियम का जोर-शोर से प्रचार-प्रसार करें और दो अक्टूबर से इसका गंभीरता से पालन सुनिश्चित कराएं। अगर फूड कारोबार करने वाले अपने ग्राहकों के बिल पर एफएसएसएआइ द्वारा आवंटित लाइसेंस नंबर नहीं लिखते हैं तो इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा, या फिर यह समझा जाएगा कि अमुक कारोबारी ने एफएसएसएआइ लाइसेंस नंबर लिया ही नहीं है।
एफएसएसएआइ ने यह भी कहा कि खाने-पीने की वस्तुओं का कारोबार और इकोसिस्टम बहुत बड़ा है। इसलिए बहुत से कारोबारी अपने बिल पर यह नंबर डालते ही नहीं हैं। इसका खामियाजा यह होता है कि ग्राहकों की असुविधा की स्थिति में उन्हें शिकायत करने में भी दिक्कत होती है। वर्तमान में पैकेज्ड फूड पर तो एफएसएसएआइ नंबर लिखना अनिवार्य है। लेकिन रेस्टोरेंट, मिठाई शॉप और इस तरह के अन्य रिटेलरों में से बहुत ने इसे अब तक गंभीरता से नहीं लिया है।
एफएसएसएआइ के इस नियम में भी बाधा
ग्राहकों को बेहतर गुणवत्ता वाली खाने की वस्तुएं ही बेची जाएंगी। वैसे, एफएसएसएआइ के इस नियम के रास्ते में एक बड़ी बाधा यह है कि बिल में नंबर होने के बावजूद ग्राहकों के पास यह जानने का कोई जरिया नहीं होगा कि वह नंबर उसी दुकानदार या सेवा प्रदाता का है या किसी और का।
शुद्ध सरसों तेल के लिए राज्यों को जारी हुआ निर्देश
उल्लेखनीय है कि एफएसएसएआइ ने पिछले दिनों राज्यों को निर्देश दिया है कि वे सरसों तेल में किसी भी अन्य वनस्पति तेल की मिलावट रोकने के लिए कठोर कदम उठाएं। एफएसएसएआइ ने इस बारे में इस वर्ष आठ मार्च को एक दिशानिर्देश जार कर कहा था कि आठ जून से बहु-स्रोत खाद्य वनस्पति तेल (एमएसईवीओ) यानी एक से अधिक स्रोत से हासिल खाद्य तेलों को मिलाकर बनाए गए तेल में सरसों तेल का उपयोग नहीं किया जाएगा। इससे ग्राहकों को शुद्ध सरसों तेल मिलेगा और किसान अधिक सरसों उपजाने को प्रेरित होंगे। इससे बाजार में सरसों तेल के दाम में भी नरमी आएगी।
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