नई दिल्ली। खाड़ी देशों की यात्रा पर गए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को रविवार को रॉयल सऊदी लैंडफोर्स के मुख्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्होंने रॉयल सऊदी के कमांडर जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतीर से भी मुलाकात की। जनरल मनोज मुकुंद नरवणे शनिवार शाम को अपने दूसरे पड़ाव में सऊदी अरब पहुंच गये थे।
जनरल नरवणे की यह खाड़ी देशों की पहली यात्रा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। सेना प्रमुख की यूएई और सऊदी अरब यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और मजबूत करना है। उनकी यात्रा से रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग के नए रास्ते खुलने की उम्मीद है।
उनकी यह यात्रा इस मायने में भी ऐतिहासिक है कि पहली बार किसी भारतीय सेना प्रमुख ने खाड़ी देशों का दौरा किया है। रविवार को रॉयल सऊदी लैंडफोर्स के मुख्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर के बाद उन्होंने रॉयल सऊदी लैंडफोर्स के कमांडर जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतीर से भी मुलाकात की।
उनकी इस यात्रा में दोनों देशों के बीच इंटेलिजेंस शेयरिंग, आतंकवाद विरोधी प्रयास, पाकिस्तान को आर्थिक सहयोग करने वाली वित्त पोषण एजेंसियों को रोकने, संयुक्त प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम शुरू करने, मेक इन इंडिया के साथ रक्षा विनिर्माण, अनुसंधान एवं विकास करने और आपसी सहयोग से प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने पर चर्चा होगी। जनरल नरवणे 13 से 14 दिसम्बर तक सऊदी अरब में सैन्य प्रतिष्ठानों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें करेंगे।
इससे पहले अपनी यात्रा के पहले पड़ाव में सेना प्रमुख 09-10 दिसम्बर को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दौरे पर रहे जहां उन्होंने यूएई के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात करके दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने यूएई के लैंड फोर्सेज एंड स्टाफ के कमांडर मेजर जनरल सालेह मोहम्मद सालेह अल अमेरी से मिलकर आपसी हित और रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की।
जनरल नरवणे जब बुधवार को यूएई पहुंचे थे तो उन्हें भूमि बलों के मुख्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और जनरल ने शहीद स्मारक पर माल्यार्पण किया। जनरल नरवणे की यात्रा खाड़ी क्षेत्र में तेजी से विकसित घटनाक्रमों के बीच हो रही है, जिसमें कई अरब देशों के साथ इजरायल के संबंधों को सामान्य बनाने के साथ-साथ ईरान के शीर्ष परमाणु हथियार वैज्ञानिक मोहसिन फखरजादेह की हत्या से उत्पन्न स्थिति भी शामिल है।