न्यूज 7 एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। कर्ज में डूबे एक स्टेशनरी कारोबारी ने आज अपने हाथ और गर्दन की नस काटकर खुदकुशी करने की कोशिश की लेकिन कर्मचारियों ने देख लिया और सहारागंज चौकी पुलिस को सूचना दी। तत्काल मौके पर पहुंचे सहारागंज चौकी इंचार्ज ने कपड़े से उसके बहते खून को रोककर ट्रामा सेन्टर भेजा। जख्मी कारोबारी का वहां इलाज हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार हजरतगंज के लाप्लास रोड स्थित सना पैलेस की तीसरी मंजिल पर स्टेशनरी कारोबारी ने आत्महत्या का प्रयास किया. कारोबारी ने ऑफिस का गेट अंदर से लॉक कर गर्दन और हाथ की नस काटी ली। काफी देर तक दरवाजा न खोलने पर कर्मचारियों ने डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला तो कारोबारी को खून से लथपथ देख हो उड़ गए। हादसे की सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने कारोबारी की जान बचाई और उसे इलाज के लिए ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। नाका के राजेंद्र नगर निवासी आलोक सिकरीवाल भटनागर स्टेशनरी और फोटो कापी मशीन का कारोबार करते है। उनका सना पैलेस के तीसरी मंजिल पर ऑफिस है। ऑफिस में 8 से ज्यादा कर्मचारी काम करते है।
आफिस और अन्य जगह से मिल रही जानकारी के अनुसार आलोक के परिवार में उनकी पत्नी निरूपमा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में डीओ के पद पर तैनात है जबकि दो बेटे विक्रांत और प्रखर गाजियाबाद और बंगलूरू में रहते है. पत्नी निरूपमा ने बताया कि आलोक पिछले दो डेढ़ साल से डिप्रेशन में है। नोट बंदी के चलते उनका पैसा ब्लाक हो गया था और वह काफी कर्ज में डूबे थे। पिछले 8-10 से दिन से वह चुपचाप रहने लगे थे। उनकी हालत को देख परिवार का कोई सदस्य उन्हें ऑफिस छोडऩे और लेने आता था। इंदिरा नगर निवासी आलोक के रिश्तेदार हिमांशु भटनागर भी उनके साथ काम करते थे। हिमांशु वर्तमान में दिल्ली गए थे। गुरुवार को आलोक सुबह 10.30 बजे ऑफिस आए. कुछ देर काम करने के बाद उन्होंने एक-एक करके सभी कर्मचारियों को काम पर भेज दिया।
दोपहर करीब डेढ़ बजे कर्मचारी राजेश कनौजिया और अनूप लौटे तो ऑफिस का गेट अंदर से बंद था. काफी आवाज लगाने के बाद भी गेट नहीं खुला तो कर्मचारियों ने उनकी पत्नी निरूपमा को सूचना दी. सूचना पर उनकी पत्नी भी मौके पर पहुंच गई। सूचना पर चौकी इंचार्ज सहारागंज राहुल सोनकर फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। आलोक की सांस चलते देख उन्होंने गर्दन और हाथ की नस का कपड़े से तत्काल बांधा जिससे खून का बहाव बंद हो सके। करीब 10 मिनट बाद एम्बुलेंस पहुंचे और उन्होंने तत्काल ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। जिससे कारोबारी आलोक की जान बच सकी. नोट बंदी के चलते कर्ज में डूबे आलोक ने कारोबार बंद करने का फैसला लिया था। उसने सभी कर्मचारियों को 31 अगस्त को कारोबार बंद करने का नोटिस दिया था. नोटिस पर कई कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी थी लेकिन अभी भी चार कर्मचारी उनके साथ काम कर रहे थे।