लखनऊ। अलहुदा मॉडल कॉलेज का अस्तित्व कुछ असमाजिक तत्वों के कारण समाप्त होने की कगार पर है यदि इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो समाज का एक बहुत बड़ा तबक़ा अच्छी शिक्षा और अच्छे आदर्ष से महरूम हो जाएगा। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि अलहुदा कालेज त्रिवेणी नगर की 63 वर्षीय प्रिन्सिपल तबस्सुम अलवी योजनाबद्ध तरीके से गुट बनाकर स्कूल पर कब्जा जमाए हैं।
इनके गुट में मुख्य रूप से मास्टर माइंड तनवीर, लियाकत अली खाँ तथा स्टॉफ के कुछ अन्य लोग भी शामिल है। इसके अतिरिक्त के.जी.एम.यू. मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ0 क़ौसर उसमान भी शामिल है जो अलहुदा मुस्लिम एजूकेशनल सोसाइटी के मेम्बर हैं और पिछली कमेटी में सेक्रेटरी के पद पर भी थे।
अन्य स्टॉफ मेम्बर से यह भी पता चला है कि क़ौसर उसमान स्कूल की सोसाइटी पर पूरा कब्जा करना चाहते हैं और स्कूल के प्लॉट पर अपना इन्सटिट्यूट बनाना चाहते हैं जिसके लिए वह साम-दाम, दण्ड-भेद का प्रयोग करने पर आमादा हैं। जिसकी पोल शहज़ाद मंसूर अहमद के साथ हुई घटना ने खोल दी है।
इस सिलसिले में राष्ट्रीय समाजिक कार्यकर्ता संगठन के संयोजक मुहम्मद आफाक ने कलर्क पद पर कार्यरत शहज़ाद मंसूर अहमद से मुलाकात करके घटना की पूरी जानकारी हासिल की तो पता चला कि शहजाद मंसूर अहमद प्रेसिडेन्ट के रूम में कम्प्यूटर पर कुछ काम कर रहे थे लगभग 9ः30 बजे क़ौसर उसमान अपने साथियों के साथ दाखिल हुए और पूछा तुम यहाँ कैसे? चलो बाहर निकलो, और प्रेसिडेन्ट रूप से सम्बन्धित सभी चाबियाँ मुझे दो। शहज़ाद मंसूर अहमद ने चाबियाँ देने से इंकार कर दिया तो क़ौसर उसमान ने प्रिन्सिपल के इषारे पर चाबियाँ छीनने का प्रयास किया जब सफल नहीं हुए तो उनके मुँह पर ज़ोरदार थप्पड़ मारा और अपने साथी डॉ. मुईद अहमद के साथ एक्टीवा गाड़ी से चले गये।
इस घटना से स्टॉफ के अन्य कर्मचारी डरे सहमे चुपचाप तमाशा देखते रहे जिन पर प्रिंसिपल का पूरा नियंत्रण है। लेकिन तनवीर ने शहज़ाद का गला पकड़कर थप्पड़ मारने का प्रयास किया किंतु हाथ रोक लिया। मुहम्मद आफाक ने जब शहज़ाद से पूछा कि अब आप इन षड्यन्त्रकारियों के खिलाफ क्या करेंगे तो उन्होंने जवाब दिया ये लोग बहुत शातिर है, इनसे मुकाबला करना मेरे बस की बात नहीं है क्योंकि यह लोग मेरी हत्या भी करा सकते हैं इन लोगों को मुझसे क्या दुश्मनी है मैं खुद नहीं जानता।
इस घटना के कुछ दिन पहले शुऐब उसमानी एडवोकेट ने भी इसी तरह मुझे प्रेसिडेन्ट रूप से बाहर करके दो-दो ताले लगा दिये थे। मैंने प्रेसिडेन्ट साहब को इसकी सूचना दी तो उन्होंने ताले तुड़वा दिये थे। अन्त में मुहम्मद आफाक ने कहा कि अलहुदा कालेज को बचाने में पूरी नज़र बनी रहेगी इसके लिए मुझे बड़ी से बड़ी कुर्बानी देना पड़ी तो हम देंगे। लेकिन अपने बुजुर्गो के ख्वाब को शार्मिन्दा नहीं होने देंगे। अलहुदा जिस प्रकार समाज के बच्चों को शैक्षिक लाभ पहुँचा रहा है, पहुँचता रहेगा और अच्छे नागरिकों का निर्माण करता रहेगा।