लखनऊ। राजधानी के कृष्णानगर कोतवाली की पुलिस टप्पेबाजी के एक मामले में फरार चल रहे आरोपी को नहीं पकड़ पाई तो उसकी बेटी और आठ साल के बेटे के साथ उठा लाई। मासूम बच्चे के सामने रात भर महिला को थाने में टॉर्चर किया जाता रहा। महिला के पति ने पुलिस से काफी मिन्नतें की, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई। इस पर उसने रिटायर्ड आईपीएस अमिताभ ठाकुर से मदद मांगी। अमिताभ ने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से शिकायत की तक जाकर महिला को छोड़ा गया।
आजमगढ़ निवासी सचिदानंद का 12 लाख रुपए से भरा बैग 29 मई को टप्पेबाजों ने पार कर दिया था। मामले की रिपोर्ट कृष्णानगर कोतवाली में दर्ज की गई थी। पुलिस ने वारदात करने वाले चिनहट निवासी अनूप सिंह और उसके सहयोगी अजीत मौर्या के बारे में पता लगा लिया। अजीत को तो गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन अनूप फरार हो गया। बहुत प्रयास के बाद भी अनूप पकड़ में नहीं आया तो कृष्णानगर पुलिस ने उसके घर दबिश देकर मायके मे रह रही बेटी शीतल और उसके आठ साल के बेट सिद्धांत को उठा ले गई।
इसकी जानकारी होने पर बिहार स्थित गांव गए शीतल के पति दीपक ने कृष्णानगर इंस्पेक्टर महेश दूबे को फोन करके पत्नी और बच्चे को छोड़ने की गुजारिश की। लेकिन पुलिस ने उसे फटकार लगाकर फोन काट दिया और पूरी रात शीतल को टॉर्चर करके पिता अनूप को बुलाने का दबाव बनाया जाता रहा। दीपक ने इसकी जानकारी पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को देकर मदद मांगी तो उन्होंने कमिश्नर से शिकायत की। कमिश्नर के हस्तक्षेप पर शीतल और उसके बच्चे को तो छोड़ा गया लेकिन पुलिस वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
लूटेरे पिता के पैसों पर पलना सबसे बड़ा गुनाह
कृष्णानगर इंस्पेक्टर महेश दूबे का कहना है कि अनूप सिंह टप्पेबाजी की वारदात का मास्टरमाइंड है। शीतल शादीशुदा होने के बावजूद अपने पिता के घर में रहती है। वह लुटेरे पिता के पैसों पर पल रही है जो अपने आप में गुनाह है। अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस को तमाम हथकंडे अपनाने पड़ते हैं। अमिताभ ठाकुर जिस तरह से पुलिस के काम में टांग अड़ा रहे हैं ऐसे तो कोई अपराधी पुलिस की पकड़ में नहीं आएगा।