सिटी परिवहन के प्रबन्ध निदेशक आर.के.मण्डल ने शनिवार को बताया कि राजधानी में गत 01 जून से सिटी बसों का संचालन किया जा रहा है। इस बीच कोरोना के खौफ से यात्री कम निकल रहे हैं। लेकिन, सिटी बसों के चालक-परिचालक सवारियों को भरने के बजाए खाली बसें दौड़ा रहे हैं। इसलिए गोमतीनगर और दुबग्गा सिटी बस डिपो की ओर से संचालित बसों की आय और लोड फैक्टर काफी खराब रहा है।
उन्होंने बताया कि सिटी बसों में 16 जून तक करीब 17 प्रतिशत यात्रियों ने सफर किया है। गोमतीनगर डिपो की 32 बसें 8,015 किलोमीटर चलकर मात्र 15 प्रतिशत लोड फैक्टर हासिल कर सकी हैं। दुबग्गा डिपो की 60 बसें 11,493 किलोमीटर चलकर करीब 19 प्रतिशत लोड फैक्टर हासिल कर सकी हैं। इसलिए अब सिटी बसों में यात्रियों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो देयक से क्षतिपूर्ति कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि सिटी बसों के चालक-परिचालक खाली बसों को दौड़ाकर अपना किलोमीटर तो पूरा कर ले रहे हैं। लेकिन, आय से कहीं ज्यादा सीएनजी ईंधन और वेतन पर पैसा खर्च हो रहा है।
सिटी बस कर्मचारियों के नेता महेन्द्र कुमार ने बताया कि कई चालक परिचालक खाली बस चला रहे थे। अब सिटी परिवहन के प्रबन्ध निदेशक के फरमान से जगह-जगह सवारियों को सिटी बसों में बैठाना होगा। इससे लखनऊ में सफर करने वाले यात्रियों को राहत मिलेगी और सिटी परिवहन की आय में भी इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि खाली बसों को दौड़ाने से वेतन कटने के फरमान से चालकों और परिचालकों और सुपराइजरों के बीच हड़कम्प मचा हुआ है।
गौरतलब है कि लखनऊ में सिटी बसों के चालक और परिचालक कोरोना के खौफ से यात्रियों को जगह-जगह बैठाने से कतरा रहे थे। इससे यात्रियों को सिटी बसें पकड़ने में काफी दिक्कतें हो रही थीं। अब सिटी परिवहन के फरमान से यात्रियों को आसानी से बसें मिल सकेंगी और बसों का लोड फैक्टर ठीक हो सकेगा।