लखनऊ, (अखिल सक्सेना)। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के इकाई अध्यक्ष रहे पुष्कर सिंह धामी उत्तरखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। लविवि से उनका पुराना नाता रहा है। पढ़ाई के साथ-साथ वह लविवि की छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे। छात्रों की छोटी-छोटी समस्याओं को उठाने वाले श्री धामी दोस्तों के काफी प्रिय रहे।
यही वजह है कि लविवि के बाद उत्तरखंड में उनकी सक्रियता को देखते हुए 10 साल पहले पूर्व मंत्री (वर्तमान में सांसद) लल्लू सिंह ने भी कहा था कि धामी एक दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे। विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने दैनिक जागरण के साथ पुष्कर सिंह धामी के साथ बितायी अपनी यादें साझा कीं।
छोला चावल था पसंद : लविवि के पूर्व छात्र रामकुमार सिंह बताते हैं कि पुष्कर सिंह धामी ने विद्यार्थी परिषद से राजनीति शुरू की। सन 1994 में बीए में प्रवेश लेने के बाद वह एबीवीपी में काफी सक्रिय रहे। वह नरेंद्र देव छात्रावास में रहते थे और हम स्वर्ण जयंती छात्रावास में। कभी मेस तो कभी कमरे में ही दाल चावल बना लेते थे। अशोक वाटिका के पास एक कैंटीन होती थी, वहां का छोला चावल उन्हें बहुत पसंद था।
दोस्तों संग अक्सर पहुंच जाते थे। छात्रों की पढ़ाई, फीस से लेकर हर समस्या को उन्होंने प्रमुखता से उठाया। उनकी सक्रियता की वजह से उत्तराखंड वहां के पूर्व सिंचाई मंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया था। बाद में जब भगत सिंह मुख्यमंत्री बने तो धामी जी को ओएसडी बना दिया था। वह बताते हैं कि उनकी सक्रियता देख पूर्व मंत्री लल्लू सिंह ने कहा था कि धामी एक दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे।
लविवि में लगाते थे शाखा : लविवि के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और महामंत्री रहे दया शंकर सिंह बताते हैं कि पुष्कर सिंह धामी अपने स्वाभाव से सबके प्रिय रहे। एनडी हास्टल के कमरा नंबर 119 में रहते थे। अक्सर मेस में खाना खत्म हो जाने पर हम सब खुद ही दाल-चावल और चोखा बना लेते थे।
इसको लेकर रोज झगड़ा भी होता था। विवेका नंद हास्पिटल के पास पप्पू का ढाबा भी बहुत मशहूर था। कई बार पैसा न होने पर वह खाना खिला देते थे। शाम को हास्टल में बैठकर राजनीति पर चर्चा जरूर होती थी। उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन हम सबको चुनाव लड़ाने में पूरी ताकत लगा देते थे। विश्वविद्यालय में ही संघ की शाखा लगाते थे।
आईटी चौराहे पर लल्ला की चाय : विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र अनुभव सिंह ने पुष्कर सिंह धामी के साथ दो साल बिताए। वह बताते हैं कि धामी जी ने 1994 से 1997 तक स्नातक, फिर एमबीए एचआर की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद 1997 में एलएलबी में प्रवेश लिया। उसी समय हम साथ में थे। सबसे ज्यादा समस्या खाने की थी। सोचते थे कहीं मिल जाए। बीरबल साहनी हास्टल में रहने वाले चंद्रमौली जी हम लोगों के खाने का ख्याल रखते थे। चाय पीने के लिए आइटी चौराहे पर लल्ला के यहां ही जाते थे। अक्सर होता था कि चाय और स्कूटर के पेट्रोल के लिए पैसे नहीं होते थे तो आपस में जुगाड़ करके काम चलता था।
पढ़ाई और राजनीति साथ-साथ : उत्तराखंड के नए सीएम पुष्कर सिंह धामी लविवि से लंबे समय तक जुड़े रहे। पूर्व छात्र संजय कुमार दुबे के मुताबिक पुष्कर लविवि के आचार्य नरेंद्र देव हास्टल के कमरा नंबर 119 में रहते थे। वहीं से पढ़ाई और छात्र राजनीति साथ-साथ करते थे। एबीवीपी को बढ़ाने और छात्र हित के लिए लगे रहते थे। पूर्व छात्र अनिल सिंह वीरू बताते हैं कि पुष्कर सिंह धामी ने जब 1994 में बीए प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया। उस समय नागेंद्र मोहन एबीवीपी का प्रभार देखते थे। उस समय सपा और एबीवीपी ही छात्र संघ की सक्रिय राजनीति में थी। उत्तराखंड बनने के बाद धामी जी सीएम के ओएसडी बन गए।