अस्पताल प्रशासन की ओर से लखनऊ सीमएओ को भेजे गए पत्र में बताया गया कि 24 अप्रैल व 7 मई को अस्पताल के डाक्टरों व कर्मचारियों की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। साथ इस अवधि में पूरे अस्पताल परिसर को सैनिटाइज भी कराया गया है। अब अस्पताल व अस्पताल का समस्त कर्मचारी स्टाफ कोरोना संक्रमण के खतरे से बाहर है। इसलिए हास्पिल को पुनः खोलने की अनुमति दी जाए। जिसके बाद प्रशासन ने चन्दन हास्पिटल के पुनः संचालन की अनुमति दे दी है।
बता दें कि अपनी ऊंची पहुंच के चलते चन्दन हास्पिटल ने नियमों को ताक पर रखकर कोरोना संक्रमित मरीजों को अपने यहां भर्ती कर इलाज किया। चंदन हॉस्पिटल से रेफर एक कोरोना मरीज की मौत भी हो चुकी है। हॉस्पिटल की एक नर्स भी कोरोना पाॅजिटिव पाई गई थी। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन और सरकार की एडवाइजरी का उल्लंघन करने के दोषी चन्दन हास्पिल को पुनः संचालन की अनुमति मिल गई है। ऐसे में प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है।
एक तरफ जहां चन्दन हास्पिल पर प्रशासन मेहरबान है। वहीं कई दिन पूर्व राजधानी के ही एक बड़े निजी डायग्नोस्टिक सेंटर व निजी अस्पताल के मामले पर सीएमओ डाॅ. नरेन्द्र अग्रवाल ने चुप्पी साध रखी है। यह डायग्नोस्टिक सेंटर व अस्पताल भी कोरोना पाॅजिटिव मरीज के संपर्क में आने के बाद सील कर दिए गए थे।