लगातार रूप बदल रहा कोरोना, चरित्र जाने के लिए छूट रहे डाक्टरों के पसीने

नई दिल्ली। कोविड-19 को आए सात माह से अधिक समय होने को है, लेकिन इसका चरित्र अब तक समझ में नहीं आया है। किसी इंसान में कुछ लक्षण दिखाता है तो किसी में कुछ और। जरूरी नहीं है कि कोरोना संक्रमित मरीजों में एक जैसा लक्षण ही दिखे। ऐसा ही इन दिनों इंदौर में देखने को मिल रहा है।

देश में कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में इस महामारी के सबसे व्यस्त अस्पताल में इन दिनों करीब 50 फीसद नए संक्रमित मरीज सूंघने और स्वाद की क्षमता कम होने की शिकायत कर रहे हैं।

श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ रवि डोसी के मुताबिक इन दिनों हमारे अस्पताल में कोविड-19 का इलाज करा रहे लगभग 50 फीसद नए मरीजों का कहना है कि उनकी सूंघने और स्वाद की क्षमता में कमी आई है।

उन्होंने कहा कि मार्च से जून के बीच कोविड-19 के इस लक्षण वाले मरीजों की तादाद बेहद कम थी, लेकिन पिछले 20 दिनों में ऐसे संक्रमितों की तादाद तेजी से बढ़ी है, जो सूंघने और स्वाद की क्षमता घटने की शिकायत कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के इस लक्षण के कारण महामारी की रोकथाम में एक तरह से मदद मिल रही है, क्योंकि इससे संक्रमितों की पहचान अपेक्षाकृत जल्दी हो पा रही है।

कोविड-19 के 4,000 से ज्यादा मरीज देख चुके डॉ रवि डोसी ने बताया कि जागरूकता बढऩे के कारण इस लक्षण वाले लोग खुद आगे आकर अपनी कोविड-19 की जांच करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि कोरोना के इलाज के बाद स्वस्थ होने वाले लोगों में तीन हफ्ते के भीतर सूंघने और स्वाद की पुरानी क्षमता धीरे-धीरे लौट आती है।

उन्होंने कहा कि मुझे अब तक ऐसा एक भी मामला नहीं मिला है, जिसमें कोविड-19 से उबरे किसी व्यक्ति ने कहा हो कि उसकी सूंघने और स्वाद की क्षमता हमेशा के लिए चली गई है।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 24 मार्च से लेकर 27 जुलाई तक जिले में कोरोना संक्रमण के कुल 7,058 मामले मिले हैं। इनमें से 306 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि इलाज के बाद 4,758 लोग इस महामारी से उबर चुके हैं।

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