अजय तिवारी
कोरोना काल के बाद लोग जीवन लक्ष्यों को सुरक्षित करने को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं। पहले 38-40 की उम्र के बाद लोग लाइफ इंश्योरेंस खरीदते थे, लेकिन अब इसकी औसत उम्र 30 साल हो गई है। यहां तक कि 24-25 साल के युवा भी नौकरी लगते ही पहला काम लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का करते हैं। बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के MD और CEO तरुण चुघ ने दैनिक भास्कर से बातचीत में यह जानकारी दी। बातचीत के मुख्य अंश…
कोरोना काल के बाद लाइफ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में मुख्य रूप से क्या बदलाव आए हैं?
लाइफ इंश्योरेंस की अहमियत काफी बढ़ी है। इसे एक पुश प्रोडक्ट यानी आग्रह की विषयवस्तु माना जाता था, लेकिन अब लोग खुद आगे आकर लाइफ इंश्योरेंस खरीद रहे हैं। पहले ज्यादातर लोग 38-40 की उम्र में लाइफ इंश्योरेंस लेते थे, लेकिन अब इसकी औसत उम्र घटकर 30 हो गई है। 24-25 साल के युवा भी नौकरी लगते ही या शादी होते ही पॉलिसी खरीद रहे हैं। लोगों के बीच अपने जीवन के लक्ष्यों को सुरक्षित करने को लेकर जागरूकता भी आई है। तमाम सेक्टर्स के बीच इंश्योरेंस इंडस्ट्री में कोरोना के दौरान भी ग्रोथ देखने को मिली।
इंडस्ट्री की ग्रोथ के क्या आंकड़े हैं? बजाज आलियांज की इस दौरान क्या ग्रोथ रही?
बीते वित्त वर्ष, यानी 2021-22 में लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर की ग्रोथ 22% रही, जबकि 2020-21 के दौरान यह महज 3% थी। बजाज आलियांज लाइफ के लिए बीता वित्त वर्ष सबसे बेहतरीन रहा। 2021-22 के दौरान हमारी ग्रोथ 49% रही। इसके मुकाबले 2020-21 के दौरान हमारी ग्रोथ 28% थी। इस तेज ग्रोथ के पीछे मुख्य वजह यह थी कि कोरोना काल में हमने तेजी से डिजिटाइजेशन अपनाया और प्रोडक्ट बेचने के तरीकों में बदलाव किया।
इस दौरान क्लेम की स्थिति क्या रही?
अगर हमारी बात करें तो बीते साल हमारे पास 2,000 करोड़ रुपए का डेथ क्लेम आया था। इससे पहले करीब 1,300 करोड़ का क्लेम आता था। इसके लिए ज्यादा रिजर्विंग करनी पड़ी। बीते साल कोविड संबंधी क्लेम 450 करोड़ रुपए का था। क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 99.02% रहा।
भारत में किस तरह के लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट ज्यादा बिकते हैं? टर्म प्लान में औसत कवरेज कितना लेते हैं?
आम धारणा है कि कोविड के बाद टर्म प्लान ज्यादा बिक रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। टर्म भी बढ़ रहे हैं, लेकिन भारत में लोग गारंटीड सेविंग्स प्लान खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं। टर्म प्लान में 70-80% लोग 50 लाख से 1 करोड़ के बीच कवर लेते हैं।
डिजिटाइजेशन की वजह से क्या एजेंटों की नौकरियां खतरे में हैं?
बिलकुल नहीं। इंश्योरेंस खरीदने के लिए आपको कोई न कोई व्यक्ति समझाने वाला चाहिए ही। डिजिटाइजेशन का फायदा ये हुआ है कि एजेंट अब टेक सैवी हो रहे हैं। एजेंटों का काम आसान हो गया है और वे अब कहीं से भी काम कर सकते हैं। इंश्योरेंस की डिमांड बढ़ रही है तो नौकरियां भी बढ़ रही हैं। हमने पिछले साल 36 हजार एजेंटों की भर्ती की थी। इस साल भी करीब 10,000 भर्तियां और करेंगे। पूरी इंडस्ट्री में भर्तियां हो रही हैं।