लाकडाउन-4: केन्द्र ने रियायतें तो दे दीं लेकिन जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत

कृष्णमोहन झा

देश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए गत 55 दिनों से जारी लाक डाउन को चौथी बार बढा दिया गया है और अब यह 31 मई तक जारी रहेगा| गौरतलब है कि लाक डाउन 3.0की समय सीमा 17 मई तय की गई थी जिसके समाप्त होने के पूर्व ही लाक डाउन 4.0 की घोषणा कर दी गई| देश में में विगत कुछ दिनों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढा है उसे देखते लाक डाउन की समय सीमा एक बार फिर बढाए जाने के बारे में किसी को भी संशय नहीं था|

केंद्र द्वारा लाक डाउन 4.0 की घोषणा किए के पूर्व ही देश के पांच राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, मिजोरमऔर तमिलनाडु की राज्य सरकारों ने अपने यहाँ लाक डाउन की अवधि 31 मई तक बढ़ाने की घोषणा कर दी थी| केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लाक डाउन के चौथे चरण के लिए गाइड लाइन भी जारी कर दी है| लाक डाउन 4.0 ढेर सारी रियायतें भी अपने साथ लेकर आया है और इन रियायतों के मिल जाने से कई इलाकों में जनजीवन सामान्य होने एवं आर्थिक गतिविधियों में गति आने की संभावनाएं बलवती हो उठी हैं |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में जब संपूर्ण देश में 21 दिन के लाक डाउन की घोषणा की थी तब सरकार के साथ ही देश की जनता भी यह उम्मीद कर रही थी कि यह समय सीमा देश के अंदर कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए काफी होगी परंतु आज की तारीख़ में देश में कोरोना संक्रमण की जो स्थिति है वह हमें इस कडवी हकीकत को स्वीकार कर लेने के लिए विवश कर रही है कि लाक डाउन के तीन चरण पूरे हो जाने के बाद भी इसकी अवधि पुन: 14 दिनों के लिये बढाने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था| यह सही है कि केंद्र सरकार ने लाक डाउन के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण में रियायतों में क्रमश: बढोत्तरी भी की है परंतु अभी भी यह कहना मुश्किल है कि लाक डाउन 4.0 की अवधि पूर्ण होने के बाद हमें उसे और आगे बढ़ाने की अनिवार्यता महसूस नहीं होगी|

केंद्र सरकार लाकडाउन की समय सीमा तीन बार बढ़ाने के साथ जिस तरह हर बार रियायतों में भी वृद्धि करती रही है उससे यह संदेश अवश्य मिलता है कि सरकार जनजीवन को पहले की तरह सामान्य बनाने की दिशा में धीरे धीरे आगे बढ़ना चाहती है इसीलिए लाक डाउन के चौथे चरण में भी सामान्य रेल और विमान सेवाओं को अभी भी स्थगित रखने का फैसला किया गया है |इसके अलावा उन आयोजनों एवं संस्थानों पर भी पहले से लागू पाबंदियों में कोई नई रियायत नहीं दी गई है जहां भीड एकत्र होने की संभावना सबसे अधिक होती है|

गौरतलब है कि लाक डाउन 4.0 का रूप रंग तय करने के लिए प्रधानमंत्री ने विगत दिनों सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ़्रेंसिंग के माध्यम से विस्तृत चर्चा की थी जिसमें कुछ मुख्य मंत्रियों ने लाकडाउन के चौथे चरण का स्वरूप तय करने के लिए अपनी ओर से सुझाव भी दिए थे परंतु कुछ अन्य मुख्यमंत्रियों ने इस संबंध में केवल केन्द्र के निर्देशों के पालन के पक्ष में अपनी राय दी थीं| लाकडाउन 4.0 की विशेषता यह है कि इसमें काफी कुछ राज्य सरकारों की मर्जी पर छोड़ दिया गया है लेकिन उसमें केन्द्र सरकार की अनुमति जरूरी होगी |देश में अभी तक कोरोना संक्रमण की गंभीरता के अनुसार रेड, आरेंज और ग्रीन जोन का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा परंतु लाक डाउन के चौथे चरण में यह अधिकार अब राज्य सरकारों को दे दिया गया है|

हाल में ही प्रधान मंत्री द्वारा वीडियो कांफ़्रेंसिंग के माध्यम से बुलाई गई बैठक में कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने यह मांग की थी जिसे केंद्र ने स्वीकार कर लिया है | लाकडाउन के चौथे चरण में तीन जोन की जगह पांच जोन होंगे |रेड, आरेंज और ग्रीन जोन के साथ अब केन्टोनमेंट और बफर जोन भी होंगे | इनमें केन्टोनमेंट जोन में सबसे अधिक सख्ती रखी जाएगी | इसमें विशेष बात यह है कि लाक डाउन के चौथे चरण में यद्यपि राज्य सरकारों को काफी अधिकार दे दिए गए हैं परंतु उन्हें सारे फैसले केन्द्र को विश्वास में लेकर ही करने होंगे | किसी भी मामले में अंतिम फैसला केंद्र का ही होगा|

लाक डाउन के चौथे चरण में राज्यों को आपसी सहमति से अंतर्राज्यीय बस सेवा प्रारंभ करने की अनुमति देने से उन प्रवासी मजदूरों को काफी राहत मिल सकेगी जो अपने गृह राज्य लौटने के लिए कड़ी धूप में मामलों पैदल चलने के लिए विवश थे |लाक डाउन के कारण बेरोजगार हुए प्रवासी मजदूरों केपलायन की समस्या ने सरकार को चिंता में डाल रखा था| सरकार ने उनकी सुविधाजनक घर वापसी के लिए श्रमिक एक्सप्रेस अवश्य चलाई हैं परंतु प्रवासी मजदूरों की बहुत बड़ी संख्या तक अभी भी इस सुविधा का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है क्यों कि ये मजदूर प्रशासनिक सख्ती के कारण अब ऐसे रास्तों से गुजर रहे हैं जो रेलवे स्टेशनों से बहुत दूर हैं | शायद इसीलिए लाक डाउन के चौथे चरण में अंतर्राज्यीय बस सेवा पर से पाबंदी हटा ली गई है |

अभी यह स्थिति है कि कड़ी धूप में पैदल चलते चलते भूखे प्यासे गरीब मजदूर एक राज्य की सीमा तक पहुंचकर दूसरे राज्य की सीमा के अंदर प्रवेश करना चाहते हैं तो वहां पर तैनात दूसरे राज्य की पुलिस उन्हें रोक देती है| इसी तरह बहुत से मजदूर ट्रकों में सवार होकर गंतव्य तक पहुंचना चाहते हैं जो कि अनजान में मौत को आमंत्रण देने जैसा ही होता है | विगत दिनों अनेक प्रवासी मजदूरों की दुखद मृत्यु भी हो चुकी है | अंतर्राज्यीय बस सेवा प्रारंभ होने से अब प्रवासी मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश कर सकेंगे| इसके लिए दोनों राज्यों की सरकारों के बीच सहमति होना जरूरी है |

अब देखना यह है कि राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों की तकलीफों को देखते हुए इस काम में कितनी रुचि लेती हैं| दरअसल जब प्रवासी मजदूरों को किसी राज्य की पुलिस उस राज्य के अंदर प्रवेश करने से रोकती है तो उसके पीछे यह आशंका होती है कि ये मजदूर कहीं कोरोना संक्रमित तो नहीं हैं| इसलिए इन मजदूरों को क्वेरेन्टीन में रखा जाता है| अंतर्राज्यीय बस सेवा शुरू होने के बाद पैदल या ट्रक आदि से यात्रा करने वाले मजदूरों को राहत मिल सकेगी| एक बात तो तय है कि कोरोना संकट काल में विभिन्न राज्य सरकारों के बीच आपसी तालमेल अनिवार्य हो गया है| राज्य सरकारों को इस नाजुक समय में टकराव का रास्ता छोड़ना होगा| बहरहाल ,लाक डाउन के चौथे चरण की शुरुआत हो चुकी है और जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन संकेत दिए थे, इसका स्वरूप वास्तव में पिछले तीन चरणों के लाकडाउन से कई मायनों में अलग है और इसमें जो रियायतें बढाई गई हैं उनसे समाज के सभी वर्गों को राहत महसूस होगी लेकिन इन रियायतों के साथ कई चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं |

उन चुनौतियों से पार पाकर ही हम कोरोना संक्रमण पर इस तरह काबू पा सकते हैं कि लाक डाउन के पांचवें चरण में हमसे नाममात्र की बंदिशों के पालन की अपेक्षा की जाए | आज देश में कोरोनासंक्र मण की जो स्थिति है वह हमें चिंतामुक्त हो जाने की अनुमति नहीं देती | लाक डाउन के इस चौथे चरण में हमें अपनी दिनचर्या को पहले की तरह सामान्य बनाने के लिए ढेर सारी रियायतें दी गई हैं परंतु उनका उपयोग हमें इस तरह करना है किलाक डाउन के चौथे चरण में कोरोना वायरस की चेन टूटने सिलसिला प्रारंभ हो सके |निश्चित रूप से लाक डाउन 4.0 में दी गई ढेर सारी रियायतों से जनता काफी राहत महसूस कर रही है परंत इनकी सार्थकता तभी सिद्ध हो सकेगी जब हम इन राहतों का सदुपयोग करते हुए कोरोना संक्रमण को न्यूनतम स्तर करवाने में सफल हो सकें|

(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना समूह के सलाहकार है)

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