लेह। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीते 12 हफ्तों से जारी विवाद के बीच शनिवार को सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के. जोशी ने चीन को दो टूक अंदाज में चेतावनी देते हुए कहा कि तनाव को कम करने के लिए चीन के साथ लगातार कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया चल रही है।
भारत भी एलएसी पर शांति चाहता है। लेकिन इसके लिए हमारी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारतीय सेना हर तरह की परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में ले़ जनरल जोशी यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इस वक्त लद्दाख में एलएसी के करीब सेना के कुल 40 हजार जवानों की तैनाती की गई है। यह चीन द्वारा एलएसी पर यथास्थिति की बहाली तक वहां पर जस का तस तैनात रहेंगे।
भारत और चीन के बीच लगातार हो रही मिलिट्री और डिप्लोमेटिक लेवल की बातचीत के कारण दोनों देशों की सेनाएं लद्दाख में पीपी-14, पीपी-15 और पीपी-17 ए से पूरी तरह पीछे हट चुकी हैं। वहीं, चीन पैंगोंग त्सो से सेना हटाने को तैयार नहीं है। इसे लेकर आने वाले दिनों में दोनों देशों के सीनियर मिलिट्री कमांडर्स बैठक करेंगे।
शुक्रवार को डब्ल्यूएमसीसी की 17वीं मीटिंग हुई थी
दोनों देशों के बीच शुक्रवार को वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कांसुलेशन एंड कॉर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) की 17वीं मीटिंग में बात हुई थी। इसमें भारतीय डेलिगेशन की अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने की। मीटिंग में दोनों देशों के बीच मिलिट्री कमांडरों की एक और मीटिंग कराने पर सहमति बनी। डब्ल्यूएमसीसी की 16वीं मीटिंग इसी महीने की शुरुआत में हुई थी। 2012 में डब्ल्यूएमसीसी को दोनों देशों के बीच सीमा से जुड़े विवाद सुलझाने के लिए बनाया गया था।
रक्षा मंत्री ने वायुसेना से तैयार रहने को कहा था
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को एयरफोर्स की बैठक में चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि वायुसेना हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे। इससे पहले न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर के विवाद वाले इलाकों से चीन की सेना पीछे नहीं हट रही है। चीन इन इलाकों में करीब 40 हजार सैनिकों की तैनाती कर रहा है।