परिवहन आयुक्त कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि लॉकडाउन की वजह से पिछले दो महीने में परिवहन विभाग को करीब 600 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। परिवहन विभाग ने अब राजस्व की भरपाई के लिए अन्य विकल्पों पर मंथन शुरू कर दिया है। फिलहाल लॉकडाउन के चलते उत्तर प्रदेश शासन ने अभी तक किसी प्रकार के शुल्क को चालू वित्तीय वर्ष में नहीं बढ़ाया है। ऐसे में चालू वित्तीय वर्ष में राजस्व की भरपाई के लिए अभी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।
परिवहन विभाग को ये राजस्व माल ढोलने वाले वाहनों के टैक्स, नये वाहनों के रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस की फीस, वाहन फिटनेस शुल्क एवं अन्य मदों से मिलता है। अप्रैल और मई के दो महीनों में वाहनों के शोरूम न खुलने से नये वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। इसके अलावा व्यापारिक वाहनों के न चलने से रोड टैक्स भी नहीं मिल पाया है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने परिवहन विभाग को चालू वित्तीय वर्ष में करीब 8,500 करोड़ का राजस्व एकत्रित करने का लक्ष्य दिया है। इन व्यावसायिक वाहनों से राजस्व के रूप में जहां एक महीने में करीब 600 करोड़ रुपये आना चाहिए था। वहां अब तक सिर्फ 85 करोड़ रुपये की आये हैं। ट्रकों और माल ढोने वाले छोटे वाहनों से परिवहन विभाग को हर महीने कर मिलता था। लेकिन, लॉकडाउन की वजह से सब कुछ बाधित हो गया है।
ट्रकों और छोटे वाहनों से परिवहन विभाग को पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 1,125 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। जबकि, बसों, टैक्सी, ऑटो रिक्शा एवं अन्य वाहनों से उसे पिछले साल तकरीबन 710 करोड़ रुपये वार्षिक कर के रूप में मिला था।
लखनऊ के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी संजय त्रिपाठी ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से दो और चार पहिया वाहनों की बिक्री नहीं होने और व्यावसायिक वाहनों के न चलने से टैक्स के रूप में मिलने वाले करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान परिवहन विभाग को हुआ है। फिलहाल राजस्व के नुकसान की भरपाई पर विचार चल रहा है।