मेरठ। लाॅकडाउन के बाद से छात्र-छात्राएं इन दिनों आलसी हो गए हैं। उन्हें देर से सोने और सुबह देर से जगने की आदत पड़ गई है। यह हाल एक या दो बच्चों का नहीं है, बल्कि हर घर का यही माहौल है। बच्चों के व्यवहार से माता-पिता परेशान हैं। शिक्षकों से बच्चों की काउंसिलिंग कराई जा रही है। कुछ अभिभावक बच्चों को चिकित्सकों के पास भी ले जा रहे हैं।
लॉकडाउन के कारण मार्च 2020 से बंद चल रहे स्कूलों को खोलने के लिए सरकार ने आदेश नहीं दिए हैं। हालांकि गत 19 अक्तूबर 2020 से सभी बोर्ड के स्कूल खोल दिए गए थे। स्कूलों में बच्चे अभिभावकों की इजाजत पर स्कूल पहुंच रहे थे। लेकिन कक्षा 10 और 12 के छात्रों के अलावा अन्य कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे उदास हैं। अब अगर स्कूल खुलने की बात चलती है तो बच्चे तनाव में आ रहे हैं।
कई बच्चों ने तो अभिभावकों से साफ कह दिया कि वो स्कूल नहीं जाएंगे। बच्चों का मन अब ऑनलाइन क्लास में भी नहीं लग रहा है। अभिभावकों की शिकायत है कि बच्चे मोबाइल और लैपटॉप पर पढ़ाई की बजाय गेम ज्यादा खेल रहे हैं। वह इसकी शिकायत शिक्षकों से भी कर रहे हैं।
केस एक
केएल इंटरनेशनल स्कूल में नवीं कक्षा में पढ़ने वाले कृष्णा स्कूल जाने की बात सोचकर परेशान है। पिछले साल से ऑनलाइन पढ़ाई के कारण देर तक सोने को मिलता था। न जल्दी उठने की चिंता थी और न ही जल्दी तैयार होकर स्कूल भागने की। कृष्णा अपने मम्मी पापा से अब बार-बार कहते हैं कि उन्हें अब स्कूल नहीं जाना।
केस दो
दीवान स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले विहान की माने तो उसका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा।। उसका कहना है कि अभी मजे से चल रहेे हैेेेेेेेेेें। ऑनलाइन क्लास होती है। अब फिर सुबह जल्दी उठकर नहाना, जल्दी-जल्दी बस स्टॉप की ओर दौड़ना और स्कूल जाने का मन नहीं करता।
सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर सुधांशु शेखरका कहना है कि लॉकडाउन एक तरह से अवकाश अवधि है। जिसने बच्चों की दिनचर्या को बदला है। हालांकि स्कूलों ने प्रयास किया कि ऑनलाइन क्लास में स्कूल का माहौल दे सकें, मगर यह पूरी तरह संभव नहीं हुआ। इसलिए अब बच्चे आलसी हो गए हैं। स्कूल खुलेंगे तो उनके आराम मेें मुश्किल होगी, इसलिए वो स्कूल जाने से बचने के लिए बहाने खोज रहे हैं।
सीबीएसई काउंसरल डॉ. पूनम देवदत्त का कहना है कि बच्चों को दोबारा से उसी दिनचर्या पर लाना होगा। पिछले 2 साल के अंतराल में जो छूटा है उसे फिर से उनकी आदत में शामिल करना होगा। इसीलिए अभी से अभिभावक बच्चों को उसी दिनचर्या में ढालना शुरू करें। उसी टाइमटेबल को अपनाएं, ताकि जब स्कूल खुले तो बच्चा घबराए नहीं।