प्रयागराज। भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश की बात करने वाले लोग खुद भ्रष्टाचार में संलिप्त हो गए हैं। लोक सेवा आयोग इसका उदाहरण है, युवाओं को भी कुछ सुझाई नहीं दे रहा है। जबकि देश की जनता को मोदी जी का विकल्प कोई नजर नहीं आ रहा है। उक्त विचार सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष समाजवादी लोहिया वाहिनी प्रयागराज व लोहिया वाहिनी के पूर्व प्रदेश सचिव अम्बुज कुमार मिश्र ने सोमवार को व्यक्त किया।
उन्होंने लोक सेवा आयोग द्वारा प्रदेश में हो रहे प्रतियोगी परीक्षाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही 2018 की 68500 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती व पुनः 2019 की 69 हजार प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती पूर्णरूपेण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। उन्होंने कहा कि दुःख की बात है कि उत्तर प्रदेश का कोई ऐसा सरकारी विभाग नहीं है जहां के मंत्री, अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्टाचार में संलिप्त न हो।
लेकिन देश की जनता को मोदी जी का विकल्प कोई नजर नहीं आ रहा है। जबकि छात्र, नौजवान, मजदूर, किसान सब सपा की तरफ वर्तमान सरकार से उपेक्षित होकर इस आशा व विश्वास से देख रहे हैं कि कभी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का फरमान इस भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के लिए आ सकता है। मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि उत्तर प्रदेश में संसद से सड़क तक संघर्ष करने वाली समाजवादी पार्टी नेतृत्व विहीन दिखाई पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि यह मध्यप्रदेश के बाद दूसरा बड़ा व्यापम घोटाला है। जिसमें ‘पैसा दीजिये नौकरी लीजिये’ का खेल जोरों पर चल रहा है। इस सब के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से विपक्ष जिम्मेदार है। यह चिंतनीय व अफसोस का विषय है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष मरणासन्न की स्थिति में क्यों है? क्या कोई दबाव है या कुछ और है। इसीलिए इस मुद्दे पर कानों के नीचे जूं तक नहीं रेंग रहा है और इतने बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार को भी उत्तर प्रदेश में सपा जो संघर्षों के लिए ही जानी पहचानी जाती थी। आज मृतप्राय पड़ी है और इस भ्रष्टाचार को कोई मुद्दा नहीं बना पा रही है।
मिश्र ने आगे कहा कि डॉ.लोहिया का कथन ‘एक पैर जेल में एक पैर रेल में’ केवल श्लोगन बन गया है। उनका जो सपना था जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान न देख लें, तब तक संघर्ष करते रहना है। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार शीर्ष नेतृत्व ही है। अंत में उन्होंने कहा मैंने डॉ.लोहिया को पढ़ा है, उन्होंने कहा था कि ‘मेरी बात लोग मानेंगे जरूर लेकिन मेरे मरने के बाद’ ठीक उसी प्रकार मेरी बात पर शीर्ष नेतृत्व विचार करेगा, लेकिन अच्छा समय निकल जाने के बाद।