लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय परिसर का वर्षों पुराना जमीन विवाद निपट ही नहीं रहा। वहां वर्षों से बसे एक दर्जन से अधिक परिवारों ने गुरुवार को हंगामा करते हुए मुख्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया। वह उनके घरों की बिजली कट जाने से नाराज थे, वहीं पार्टी का दावा है कि वह कांग्रेस के कर्मचारी नहीं, बल्कि अवैध कब्जेदार हैं।
राजधानी लखनऊ के मॉल एवेन्यू स्थित कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय परिसर में पीछे की ओर तब तत्कालीन कर्मचारियों को रहने के लिए जगह दी गई थी, जब कार्यालय बना था। इस वक्त वहां करीब चौदह परिवार रहते हैं, जिनमें कुछ पूर्व कर्मचारियों के हैं तो कुछ अभी भी मुख्यालय में सेवारत हैं। इन आवासों की बिजली सप्लाई उसी लाइन से होती है, जो पार्टी के मीडिया विभाग के लिए है।
कुछ महीने का बिजली का बिल इकट्ठा होते-होते करीब छह लाख रुपया पहुंच गया। इस पर मीडिया विभाग सहित उन आवासों की बिजली गत दिवस कट गई। इस पर गुस्साए वहां बसे परिवार के लोग गुरुवार सुबह करीब 10 बजे मुख्यालय के मुख्य द्वार पर पहुंचकर हंगामा करने लगे और गेट पर ताला जड़ दिया।
उनका आरोप था कि पार्टी लाइट कटवाकर उन्हें बेदखल करना चाहती है, जबकि वो वर्षों से यहां रह रहे हैं। पार्टी के प्रशासन विभाग के पदाधिकारियों ने बातचीत कर ताला खुलवाया। इतना ही नहीं, जेनरेटर से उन्हें बिजली देना शुरू कर दिया।
पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि इनमें कुछ ही कर्मचारी हैं। बाकी आसपास दुकान लगाने वाले या दूसरी जगह नौकरी कर रहे लोग हैं। वो जबरन यहां जमे हुए हैं। कांग्रेस के प्रशासन प्रभारी सिद्धार्थप्रिय श्रीवास्तव का कहना है कि इन अनाधिकृत कब्जा करने वालों से कांग्रेस मुख्यालय में कार्यरत कर्मचारियों का कोई लेना-देना नहीं है। हमारे कर्मचारी पहले की तरह कार्यालय परिसर में ही रह रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि प्रदर्शन को वो व्यक्ति तूल दे रहा था, जो कि भाजपा के एक सांसद के यहां चालक की नौकरी कर रहा है और यहां रहता है।