कानपुर। 19 साल पहले कानपुर के शिवली थाने में हुई राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड की नए सिरे से जांच होगी। कानपुर शूटआउट की जांच के लिए गठित एसआईटी ने रविवार रात यही संकेत दिए हैं। एसआईटी ने संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला को यकीन दिलाया है कि राज्यमंत्री की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे तो अपने अंजाम तक पहुंच चुका है। लेकिन उसके दोषी साथियों को सख्त सजा दिलाई जाएगी। मनोज शुक्ला को लखनऊ बुलाया गया है।
राज्यमंत्री के भाई ने कहा- दोबारा अपील हो तो सजा हो सकती है
दरअसल, कानपुर शूटआउट की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया है। इसमें एडीजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जे रवींद्र गौड़ सदस्य हैं। तीनों अफसर रविवार को बिकरु गांव पहुंचे थे। इसके बाद शिवली थाने में धूल फांक रही राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड की फाइलों से निकलवाया गया। पुलिसकर्मियों से पूछताछ भी की गई।
एसआईटी अध्यक्ष भूसरेड्डी ने फाइल देखकर आश्चर्य जताया कि थाने के भीतर राज्यमंत्री की हत्या हुई, फिर भी विकास दुबे को सजा नहीं मिली? उन्होंने बताया कि टीम इस केस के हर पहलू की जांच करेगी। टीम ने राज्यमंत्री के भाई मनोज शुक्ला से पूछताछ की। मनोज ने कहा कि कुछ गवाहों के पलट जाने से विकास और उसके साथी बरी हो गए थे। दोबारा अपील हो और साक्ष्य पेश किए जाएं तो उस केस में सजा हो सकती है। उन्होंने बताया कि एसआईटी ने भरोसा दिलाया है कि वह मामले को शासन स्तर पर अवगत कराएंगे।
सर्किट हाउस में किसानों ने दर्द बयान किया
एसआईटी ने सर्किट हाउस में बिकरु गांव और उसके आसपास गांवों के किसानों से भी बात की। चंद्रिका गांव के किसान रामप्रताप सिंह बताते हुए हैं कि करीब 16 साल पहले विकास दुबे का मुनीम आया और उनसे व करीब एक दर्जन किसानों से ढाई हजार बोरा आलू लेकर चौबेपुर के कोल्ड स्टोरेज में रखवा दिया। ढाई सौ रुपए प्रति बोरे (85 किलो) के हिसाब से रकम देने की बात तय हुई थी। जब किसान पैसे लेने मुनीम के पास पहुंचे तो बोला कि जानते नहीं, आलू विकास दुबे ने मंगवाए थे। पैसे के साथ गोली भी मिलेगी, चाहिए तो बताओ। इस पर किसान डरकर लौट आए।
साल 2001 में हुई थी राज्यमंत्री की थाने में हत्या
विकास कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव का रहने वाला था। उसने बदमाशों की गैंग तैयार की और खुद सरगना बन गया था। कानपुर नगर और देहात तक लूट, डकैती और हत्या जैसे अपराधों को अंजाम देता रहा था। 2000 में उसने शिवली के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी। इसमें उम्रकैद हुई।
ऊपरी अदालत से जमानत पर बाहर आया था। इसके बाद 2001 में शिवली थाने के अंदर घुस कर उसने श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमेन रहे और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त भाजपा नेता संतोष शुक्ल की गोली मारकर हत्या कर दी। गवाह नहीं मिले तो विकास बरी हो गया। इसके अलावा 2004 में केबल कारोबारी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी था। जेल से ही उसने शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव जीत लिया था। विकास दुबे की गिरफ्तारी पर 5 लाख का इनाम भी था। दुबे पर 60 आपराधिक मामले दर्ज थे।
विकास समेत पांच का हुआ एनकाउंटर
दो जुलाई को बिकरु गांव में दबिश देने गई पुलिस पार्टी पर हमला कर गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। आरोपी विकास दुबे को 10 जुलाई की सुबह कानपुर से 17 किमी पहले भौंती में एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया।
इससे पहले 9 जुलाई को उसके करीबी प्रभात झा का कानपुर में और बऊआ दुबे का इटावा में एनकाउंटर हुआ था। 8 जुलाई को विकास का राइट हैंड और शार्प शूटर अमर दुबे हमीरपुर में मारा गया। इससे पहले विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे का 3 जुलाई को ही एनकाउंटर हो गया था।