नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे मुठभेड़ जांच आयोग से अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान को हटाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस एस ए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि न्यायिक आयोग के काम के लिए कोर्ट ने कुछ सुझाव दिए हैं। हालांकि कोर्ट ने उन सुझावों का खुलासा नहीं किया है। कोर्ट ने पिछले 11 अगस्त को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि जस्टिस चौहान के रिश्तेदार बीजेपी के नेता हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि बहुत सारे जजों के पिता सांसद और मंत्री होते हैं। उन्होंने कहा कि जब जस्टिस चौहान जज थे, तब समस्या नहीं थी? आज सवाल कर रहे हैं। इसके पहले 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे मुठभेड़ जांच आयोग से पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को हटाने की मांग करनेवाली याचिका खारिज कर दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि पूर्व डीजीपी की विश्वसनीयता पर भी संदेह की कोई वजह नहीं है। याचिकाकर्ता को इस तरह उनके ऊपर पूर्वाग्रह का आरोप नहीं लगाना चाहिए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का कहना था कि केएल गुप्ता ने एनकाउंटर के बाद पुलिस को क्लीन चिट देने वाला बयान दिया था।
विकास दुबे मुठभेड़ मामले में पिछले 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। इस कमेटी में हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता शामिल हैं। कोर्ट ने कहा था कि न्यायिक आयोग सभी पहलुओं को देखेगा। आयोग यह भी देखेगा कि गंभीर मुकदमों के रहते दुबे जेल से बाहर कैसे था।
आयोग एक हफ्ते में अपना काम शुरु करेगा। कोर्ट ने आयोग को 2 महीने में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने साफ किया कि आयोग के चलते 2-3 जुलाई को मुठभेड़ में मारे गए पुलिसकर्मियों को लेकर चल रहे ट्रायल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केंद्र सरकार आयोग को स्टाफ उपलब्ध कराएगी। कोर्ट ने जांच की निगरानी करने से इनकार कर दिया था।