नई दिल्ली। पीएमओ में मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन की नियुक्ति पर भाजपा के ही राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल उठाये हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने उनके तार चीन के वुहान से जोड़ दिए हैं जहाँ से पहली बार कोरोना वायरस के केस सामने आये थे। के विजय राघवन प्रधानमंत्री मोदी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार हैं। राघवन एक मोलिक्यूलर बायोलोजिस्ट भी हैं।
दरअसल सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मुझे आश्चर्य हो रहा है कि पीएम मोदी ने डॉक्टर विजय राघवन को प्रधानमंत्री कार्यलय में मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया हैं।
उन्होंने कहा कि यह डॉक्टर राघवन ही थे जो वुहान में चमगादड़ प्रोजेक्ट का हिस्सा भी थे। इसके अलावा उन्होंने सरकार की अनुमति के बिना ही चीनी वैज्ञानिकों के एक दल को नागालैंड बुलाया था और चमगादड़ पर प्रयोग करने के लिए कहा था।
हालाँकि यह पहली बार नहीं है जब राघवन विवादों में आये हैं। इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च(ICMR) पर भी राघवन के दबदबे की खबर आई थी। जबकि राघवन कोई डॉक्टर या वायरोलॉजिस्ट नहीं हैं। ये के राघवन ही थे जिन्होंने कोरोना के इलाज में HCQ दवाई को इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। राघवन ने ही यह माना था कि भारत में 15 अगस्त से पहले कोरोना की वैक्सीन लगायी जा सकती है।
इतना ही नहीं विजय राघवन ने इजरायल से आयी 20 विशेषज्ञों की टीम को कोरोना मरीज़ों के लार के सैम्पल लेने की अनुमति दी थी। जिसके लिए आईसीएमआर से अनुमति भी नहीं ली गयी थी।
आपको बता दें कि विजय राघवन की गिनती देश के टॉप बायोलोजिस्ट में होती है और उन्हें मार्च 2020 में ही मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले के विजय राघवन डिपार्टमेंट ऑफ़ बॉयोलॉजी के सचिव भी रह चुके हैं। उन्होंने साल 2017 में गुजरात ग्लोबल सबमिट में 9 नोबेल विजेता वैज्ञानिक को बुलाया था जिससे पीएम मोदी काफी प्रभावित हुए थे।