विनाश के लिए परमाणु हमले से कम नहीं है नशे का उठता ग्राफ

सर्वेश तिवारी

कल तक जिन मादक पदार्थों को चोरी छिपे लोग हासिल कर लेते थे वो अब कई देशों में पाना आसान हो गया है। जिसमें अमेरिका पहले नम्बर पर है। ये वही देश है जहाँ बंदूक को लोग खिलौने की तरह खरीदते और बेचते हैं। यही वजह है कि स्कूलों में बंदूक की आवाज या उससे हत्या आम बात है। जिस देश के युवाओं के पास बंदूक है उनके लिए मादक पदार्थों को रखना चौकाने वाली बात भले न हो लेकिन एक बड़े राष्ट्र को विनाश के रास्ते ले जाने के लिए काफी है।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड महामारी के दौरान मादक पदार्थों का इस्तेमाल कई देशों में सबसे ज्यादा हुआ। अमेरिका यहाँ भी आगे था। हद तो तब हो गई जब फ्लोरिडा में रहने वाले एक दंपति को ऑनलाइन शॉपिग पोर्टल अमेज़ॉन की डिलीवरी में 3० किलो गांजा मिला। दंपति ने बताया कि इस ग़लत डिलीवरी के मुआवज़े के तौर पर अमेज़ॉन ने उन्हें 15० डॉलर की पेशकश की ।

कंपनी ने ये ऑफ़र ईमेल पर दिया। अमेरिका में ड्रग्स का सेवन सीधे तौर पर ना करके डॉक्टर की सलाह पर दवा के तौर पर भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि हर 1० में से 7 अमेरिकी दवा के रूप में ड्रग्स का सेवन करते हैं। गोलियों का इस्तेमाल ज्यादातर मेडिकेशन, मधुमेह, टीबी, नींद से जुड़ी दिक्कतों, डिप्रेशन और अस्थमा के इलाज के लिए किया जाता है । लेकिन डॉक्टर की सलाह पर ली जाने वाली इन गोलियों का इस्तेमाल हर दिन बढ़ रहा है। बीते कुछ वर्षों में ये संख्या 44 फीसदी से बढ़कर 48 फीसदी पर पहुंच गई है।

अनुमान है कि अवैध नशीले पदार्थों के कारण दुनिया में करीब 2 लाख लोग मौत का शिकार होते हैं जिनमें अधिकतर 3० वर्ष की आयु के आसपास के होते हैं। इसलिए अवैध मादक पदार्थ का इस्तेमाल ज्यादातर आज की दुनिया में किशोरावस्था के दौरान बढ़ता है और 18-25 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के बीच शिखर पर होता है। दुनिया में होने वाली मादक पदार्थों की जब्ती में भारत का हिस्सा 1.62 प्रतिशत है। हेरोइन और हशीश के सबसे बड़े उत्पादकों-स्वर्ण त्रिभुज (दक्षिणपूर्व एशिया) और स्वर्ण क्रीसेंट (अफगानिस्तान-पाकिस्तान तथा ईरान) से समीप भारत में मादक पदार्थों की तस्करी होने का प्रमुख कारण है, जिससे इसकी सीमाएं संवदेनशील हो गई हैं।

इसके अलावा नेपाल गांजे का परंपरागत स्रोत है। इन क्षेत्रों में मादक पदार्थ तस्करों के लिये गंतव्य और ट्रांजिट रूट दोनों हैं। सीमा के आरपार नशीले पदार्थों की तस्करी के कारण पूर्वोत्तर, उत्तर और पश्चिमी हिस्सों से सटे पड़ोसी देशों से सीमावर्ती राज्य मादक आतंकवाद-आतंकी गुटों द्बारा धन जुटाने के लिये मादक पदार्थों की तस्करी आम है। इस धन का इस्तेमाल हत्याओं, अपहरण, बमविस्फोट, किडनैपिग और सरकार का अवैध पदार्थों के प्रति अभियान से ध्यान बांटने के लिये सामान्य व्यवधान उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका सभी जगह इसका जाल है। ऐसा जाल, जिसमें एक बार फसने के बाद किसी के लिए भी निकलना आसान नहीं होता है। ईरान एक युवा देश है यानी यहां युवाओं की आबादी बहुत ज्यादा है। औसत आयु 27 साल है। लेकिन देश बाकी दुनिया से अलग थलग होता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदायों का मानना है कि ईरान चोरी छिपे परमाणु हथियार बना रहा है। पर ईरान इससे इनकार करता आया है।

उसका कहना है कि वह सिर्फ बिजली के लिए अपना परमाणु कार्यक्रम चला रहा है। अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों की नजर ईरान पर बनी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी परमाणु हथियारों के खिलाफ ईरान पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। इन तमाम बातों का देश की युवा आबादी पर खासा असर पड़ा है। देश में बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी बड़ी समस्याएं बनती जा रही हैं। कई लोगों का मानना है कि इन उलझनों से बचने के लिए भी कई लोग शराब की लत में डूब रहे हैं। शराब इन लोगों के लिए कई और दूसरी शांत करने वाली दवाइयों की तरह है। इस देश के लोग लगातार सामाजिक पीड़ा और आर्थिक तंगी के दबाव में रह रहे हैं।

इसलिए कई लोग शराब में शांति तलाशते हैं। लेकिन क्या हकीकत में इससे शांति मिलती है? अफगानिस्तान का का हाल भी कुछ ऐसा ही है। देश में अफीम के खेत पहले से ही दुनिया की ज्यादातर हेरोइन का जरिया बने हुए हैं, वहां क्रिस्टल मेथरास्ता आसान कर रहा है। यूरोपियन मॉनिटरिग सेंटर फॉर ड्रग्स एंड ड्रग एडिक्शन (ईएमसीडीडीए) की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अब क्रिस्टल मेथ का कारोबार एक इंडस्ट्री जितना बड़ा आकार ले सकता है। इसके इस्तेमाल में इजाफा ड्रग ट्रैफिकर्स की एक खोज का नतीजा है।

खोज में पता लगाया गया कि अफगानिस्तान के जंगली इलाकों में एक पौधा आमतौर पर पैदा होता है। इसका नाम एफ़ेड्रा है। इसका इस्तेमाल मेथ के अहम कंपोनेंट: एफीड्राइन को बनाने में किया जा सकता है। जानकर बताते हैं कि पहाड़ों पर उगने वाले एक जंगली पौधे से मेथांफ़ेटामाइन बनाया जा सकता है, यह खोज एक गेमचेंजर साबित हुई है। पहले ड्रग ट्रैफिकर्स एफीड्राइन को कहीं महंगी आयातित दवाइयों से निकालते थे, लेकिन अब वे इसे बेहद सस्ते पड़ने वाले विकल्प और थोड़ी की केमिस्ट्री की मदद से निकाल लेते हैं।

एफ़ेड्रा का पौधा दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी क्रिस्टल मेथ तैयार करने में इस्तेमाल होता है। ब्राजील में ऑक्सी इसलिए ज्यादा मशहूर है क्योंकि इससे कोकेन से भी अधिक नशा होता है। अगर वक्त रहते सरकार ने इसपर रोक लगाने के लिए कुछ नहीं किया, तो भविष्य में ब्राजील को काफी संकट का सामना करना पड़ सकता है। अब सभी देशों को सोचना होगा कि इस जाल से अगर निकलना है तो जलवायु परिवर्तन या कूटनीतिक मसलों पर औपचारिक माथापच्ची से पहले उन्हें युवाओं को नशे से बचाने पर काम करना होगा। ज्यादा देर देश के भविष्य का हुलियाँ तक बिगाड़ सकता है।

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